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Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु में हाल ही में मिले आयकर विभाग के नोटिसों ने व्यापारियों के बीच भारी असंतोष और विद्रोह पैदा कर दिया है। ये नोटिस विशेष रूप से उन छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को भेजे गए हैं जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में यूपीआई (UPI) के माध्यम से डिजिटल लेनदेन किया है। व्यापारी इस अचानक की गई कार्रवाई को अनुचित और अव्यवहारिक बता रहे हैं।

नोटिस में व्यापारियों से यूपीआई लेनदेन पर आयकर का भुगतान करने को कहा गया है, जिससे वे असमंजस में हैं। व्यापारियों का कहना है कि वे पहले से ही जीएसटी (GST) सहित विभिन्न करों का भुगतान कर रहे हैं, और यूपीआई लेनदेन पर अतिरिक्त कर लगाना डिजिटल भुगतान को हतोत्साहित करेगा। कई व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि इन नोटिसों में लेनदेन की प्रकृति स्पष्ट नहीं है, जिससे उन्हें अपनी आय और खर्चों को सत्यापित करने में परेशानी हो रही है।

इस मुद्दे ने बेंगलुरु के व्यापारिक समुदाय में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। विभिन्न व्यापारी संघों ने सरकार और आयकर विभाग से इन नोटिसों को वापस लेने और एक स्पष्ट नीति जारी करने की मांग की है। उनका तर्क है कि यूपीआई को डिजिटल इंडिया पहल के तहत बढ़ावा दिया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य नकदी रहित लेनदेन को प्रोत्साहित करना और आर्थिक पारदर्शिता लाना था। ऐसे में इस पर कर लगाना इस उद्देश्य के खिलाफ है।

व्यापारियों का यह भी कहना है कि छोटे व्यवसायों के लिए, विशेषकर दैनिक सूक्ष्म-लेनदेन के लिए, हर यूपीआई लेनदेन का विस्तृत रिकॉर्ड रखना और उस पर अलग से कर का भुगतान करना एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती है। यह उन्हें नकदी लेनदेन की ओर वापस धकेल सकता है।

व्यापारी नेताओं ने सरकार से इस मामले पर तुरंत ध्यान देने और व्यापारियों के हितों की रक्षा करने का आग्रह किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज हो सकता है। यह घटना डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ आने वाली नियामक चुनौतियों और कर नीति में स्पष्टता की आवश्यकता को उजागर करती है।

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