
काफी समय से अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के बीच चल रही इस टैरिफ जंग ने न सिर्फ वैश्विक व्यापार पर असर डाला है, बल्कि दुनियाभर के निवेशकों को भी असमंजस में डाल रखा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि दोनों देश एक बेहतर व्यापार समझौते की ओर बढ़ रहे हैं।
ट्रंप का दावा: चीन के साथ बहुत अच्छा सौदा होगा
अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में खटास बढ़ गई थी। बीजिंग की जवाबी कार्रवाइयों के बीच ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वह चीन के साथ "बहुत अच्छा" व्यापार समझौता करने को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा, “हम एक सौदा करने जा रहे हैं। और मुझे विश्वास है कि यह चीन के साथ एक बहुत अच्छा सौदा होगा।”
यूरोप के साथ भी सकारात्मक उम्मीदें
ट्रंप ने यह बयान उस समय दिया जब इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी व्हाइट हाउस की यात्रा पर थीं। उन्होंने कहा कि अमेरिका को यूरोप या अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों में बहुत कम दिक्कतें आएंगी। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि यूरोपीय संघ के साथ भी एक व्यापारिक समझौता जल्द हो सकता है, खासकर पारस्परिक टैरिफ पर 90 दिन के विराम की अवधि खत्म होने से पहले।
अमेरिका ने चीन पर बढ़ाया टैरिफ दबाव
हाल में अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर टैरिफ दर को बढ़ाकर 245 प्रतिशत तक कर दिया है। पहले यह दर 145 प्रतिशत थी, लेकिन बीजिंग की कार्रवाई के जवाब में वाशिंगटन ने इस टैरिफ को और कठोर कर दिया है। इस कदम को चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन ने दी प्रतिक्रिया: टैरिफ वार अमेरिका ने शुरू किया
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अमेरिका को अपने टैरिफ आंकड़ों की खुद समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन ने हमेशा इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट रुख सामने रखा है और यह स्पष्ट किया है कि टैरिफ वार की शुरुआत अमेरिका ने की थी। बीजिंग ने केवल अपने अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय नियमों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई की है।
चीन का रुख: लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन डरते भी नहीं
लिन जियान ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन टैरिफ वार को बढ़ावा नहीं देना चाहता, लेकिन इसका सामना करने से भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि व्यापार युद्धों में किसी की भी जीत नहीं होती, और चीन की मंशा बाधाओं को दूर कर सहयोग का माहौल बनाने की है। लेकिन अगर देशहित की बात आएगी, तो चीन पीछे नहीं हटेगा।
क्या दोनों देशों के रिश्ते सुधरेंगे?
हालांकि ट्रंप के बयान से उम्मीद जगी है कि अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा यह टैरिफ विवाद जल्द ही किसी सकारात्मक मोड़ पर पहुंच सकता है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब दोनों पक्ष अपने-अपने हितों को संतुलित करते हुए समझदारी से फैसले लें।