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अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ में भारी इजाफा किया है। अमेरिका ने जहां चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 245 फीसदी तक कर दिया है, वहीं चीन ने भी जवाबी कदम उठाते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 125 फीसदी तक टैरिफ लगाया है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है क्योंकि अमेरिका उसके लिए एक बड़ा बाजार है।

चीन ने दी कड़ी चेतावनी, देशों को किया सतर्क

चीन की सरकार अब इस स्थिति में काफी सख्त रुख अपना रही है। बीजिंग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उन किसी भी देशों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देगा जो अमेरिकी दबाव में चीन के खिलाफ व्यापारिक फैसले लेंगे। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अगर कोई देश अमेरिका के कहने पर चीन के खिलाफ व्यापारिक समझौता करता है, तो चीन उसका विरोध करेगा और जरूरी हुआ तो जवाबी कदम भी उठाएगा।

प्रवक्ता का बयान: चीन अपने हितों की रक्षा करेगा

वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “चीन अपने वैध हितों की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। अगर कोई देश अमेरिकी टैरिफ राहत पाने के लिए चीन से अपने संबंधों को सीमित करता है, तो यह चीन के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई मानी जाएगी।” उन्होंने कहा कि चीन को ऐसे किसी भी समझौते पर कड़ा ऐतराज होगा और उसका जवाब उसी स्तर पर दिया जाएगा।

अमेरिका पर एकतरफा फैसलों का आरोप

चीन ने अमेरिका पर यह भी आरोप लगाया है कि वह ‘जवाबी कार्रवाई’ के नाम पर अपने व्यापारिक भागीदारों पर मनमर्जी से शुल्क थोप रहा है और उन्हें बातचीत के लिए मजबूर कर रहा है। प्रवक्ता ने कहा, “यह सिर्फ दिखावा है। असल में यह अमेरिकी रणनीति है जिससे वह वैश्विक व्यापार पर एकतरफा दबदबा बनाना चाहता है और अपनी राजनीतिक ताकत को मजबूत करना चाहता है।”

दूसरे देशों पर बढ़ा रहा है दबाव: वॉल स्ट्रीट जर्नल

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि अमेरिका वर्तमान में दर्जनों देशों पर दबाव बनाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि वे चीन के साथ अपने व्यापार को सीमित करें। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका शुल्क वार्ता का उपयोग करके इन देशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

चीन और अन्य देशों के बीच संतुलन मुश्किल

जापान और आसियान जैसे देश जो चीन और अमेरिका दोनों के साथ व्यापार करते हैं, इस स्थिति में सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। उन्हें यह तय करना होगा कि वे किस पक्ष के साथ खड़े होते हैं या फिर कैसे दोनों के साथ संतुलन बनाए रखते हैं। ऐसे देशों के सामने चुनौती यह है कि वे अमेरिकी दबाव को कैसे संतुलित करें और साथ ही चीन के साथ अपने रिश्तों को भी बनाए रखें।

आगे का रास्ता क्या होगा?

फिलहाल यह स्पष्ट है कि अमेरिका और चीन के बीच यह टकराव जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा। जहां एक ओर अमेरिका अपने रणनीतिक हितों को साधने में जुटा है, वहीं चीन किसी भी तरह की व्यापारिक चोट को लेकर सतर्क है और पलटवार करने की रणनीति अपना रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि बाकी देश इस तनावपूर्ण माहौल में किस तरह की नीति अपनाते हैं।