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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका और चीन दो प्रमुख शक्तियां, हमेशा ही अपने राजनीतिक और व्यापारिक नजरियों को लेकर टकराव में रही हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) का सिलसिला भी किसी से छिपा नहीं है। हालांकि, इस बीच अमेरिका ने अपनी नीति में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं, जो दुनिया को चौंका रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने एक ही दिन में दो ऐसे महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिन्होंने चीन और पाकिस्तान दोनों को राहत दी है। यह कदम अमेरिका की रणनीति और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को लेकर कई सवाल खड़े करते हैं।
अमेरिका का पाकिस्तान को राहत देना
अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है, जो पाकिस्तान और चीन के लिए सिरदर्द बन चुका है। बीएलए का मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराना है, और यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) की परियोजनाओं को भी निशाना बनाता रहा है।
अमेरिका द्वारा बीएलए को आतंकी संगठन घोषित करने से पाकिस्तान को एक तरफ तो राहत मिल रही है, लेकिन दूसरी तरफ यह अमेरिका का पाकिस्तान के लिए कठोर कदम भी है, क्योंकि यह संगठन पाकिस्तान के खिलाफ एक लंबे समय से संघर्षरत है। पाकिस्तान इसे अपनी आजादी की लड़ाई मानता है, लेकिन अमेरिका के इस कदम से उसे न केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ेगा, बल्कि बलूचिस्तान में चीन के बढ़ते प्रभाव पर भी सवाल उठेंगे।
चीन को अप्रत्यक्ष राहत
अब बात करते हैं चीन की, जिसे अमेरिका ने अप्रत्यक्ष रूप से एक बड़ी राहत दी है। बीएलए ने कई बार CPEC परियोजनाओं को निशाना बनाते हुए चीनी श्रमिकों और परियोजनाओं पर हमले किए थे, जिससे चीन की चिंताएं बढ़ी थीं। अमेरिका ने बीएलए पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लेकर चीन को एक महत्वपूर्ण राहत दी है। यह कदम चीन को यह संदेश देता है कि अमेरिका, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर अपनी नज़र बनाए रखेगा, जिससे चीन की आर्थिक परियोजनाएं सुरक्षित रह सकेंगी।
यहां तक कि अमेरिका ने यह भी सुनिश्चित किया है कि चीन की आर्थिक परियोजनाओं को बाधित करने वाले इस संगठन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अमेरिकी निर्णय चीन के लिए सुकून देने वाला हो सकता है, क्योंकि इससे उसे अपनी निवेश योजनाओं को लेकर थोड़ा सा सुकून मिलेगा।
अमेरिका का टैरिफ पर फैसला: चीन के लिए राहत और चुनौती
अमेरिका के दूसरे फैसले ने भी दुनिया का ध्यान खींचा है। ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयातित सामान पर 90 दिनों के लिए लागू किए गए टैरिफ को स्थगित कर दिया है। इस फैसले से चीन को एक और राहत मिलती है, क्योंकि इससे चीन पर 145% तक टैरिफ लगाने की स्थिति से बचा जा सकता था।
यह अमेरिका और चीन के बीच एक प्रकार का समझौता माना जा सकता है, जिसमें दोनों देशों को अपनी-अपनी आर्थिक चिंताओं को कम करने का मौका मिल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ की समय सीमा बढ़ाकर यह सुनिश्चित किया कि चीन के सस्ते माल पर भारी शुल्क लागू न हो, जो अमेरिकी बाजार में समस्याएं उत्पन्न कर सकता था। खासकर, अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए चीनी सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी चिंता का विषय बन सकती थी।
चीन से जंग नहीं, बल्कि तकरार से बचना चाहते हैं ट्रंप
अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ में समय विस्तार का निर्णय राष्ट्रपति ट्रंप की रणनीतिक सोच को उजागर करता है। क्रिसमस के दौरान अमेरिकी उपभोक्ताओं की भारी खरीदारी को देखते हुए ट्रंप को यह कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हुई। यदि टैरिफ बढ़ते, तो चीनी सामानों की कीमतें बढ़ जाती, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं की नाराजगी हो सकती थी, और ट्रंप की लोकप्रियता पर भी असर पड़ सकता था।
इसके अलावा, अमेरिका का यह कदम चीन के साथ तकरार को बढ़ने से रोकने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। ट्रंप के लिए चीन के साथ विवाद एक गंभीर चुनौती बन सकता था, खासकर जब रूस, भारत और चीन के साथ बढ़ती तिकड़ी को देखते हुए अमेरिकी प्रशासन को एक संतुलित नीति की आवश्यकता है।
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