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Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल देखा गया जब ठाकरे परिवार के दो प्रमुख सदस्य, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, दो दशक से अधिक समय बाद एक ही मंच पर एक साथ आए। यह दुर्लभ घटना मराठी भाषा और अस्मिता के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम 'मराठी भाषा गौरव दिन' के अवसर पर हुई।

यह आयोजन मराठी भाषा और साहित्य को समर्पित था, जिसमें दोनों भाइयों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी भाषा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को बचाना और बढ़ावा देना चाहिए। राज ठाकरे ने भी अपनी ओजस्वी शैली में मराठी भाषा की समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत की वकालत की।

यह घटना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि दोनों भाई 2006 में राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद से सार्वजनिक मंच पर एक-दूसरे से दूर रहे हैं। राज ठाकरे ने उस समय शिवसेना छोड़कर अपनी पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन किया था, जिसके बाद से दोनों के बीच अक्सर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता देखी गई है।

यह मंच राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक था, फिर भी दोनों भाइयों का एक साथ आना एक बड़ा संकेत है। यह दर्शाता है कि मराठी भाषा और संस्कृति का मुद्दा उन्हें एकजुट कर सकता है, भले ही उनके राजनीतिक रास्ते अलग हों।

इस आयोजन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे अन्य प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ भी मौजूद थीं, जिससे कार्यक्रम की महत्ता और बढ़ गई। यह एक ऐसा क्षण था जिसने न केवल मराठी संस्कृति का जश्न मनाया, बल्कि ठाकरे परिवार के जटिल संबंधों में एक संभावित नए अध्याय की ओर भी इशारा किया।

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