
Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में चल रही 'बुलडोजर कार्रवाई' अब संसद तक पहुंच गई है, जहां विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और सरकार से जवाब मांगा। इस कार्रवाई में अवैध अतिक्रमणों को हटाने के नाम पर कई संरचनाओं को ध्वस्त किया जा रहा है, जिससे प्रभावित लोगों, विशेषकर गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में भारी नाराजगी है।
विपक्ष ने क्यों उठाया मुद्दा? विपक्षी दलों का आरोप है कि दिल्ली में यह बुलडोजर कार्रवाई एकतरफा, मनमानी और भेदभावपूर्ण तरीके से की जा रही है। उन्होंने कई सवाल उठाए:
पुनर्वास का मुद्दा: विपक्ष का कहना है कि बिना उचित पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था के लोगों के घरों और दुकानों को तोड़ना अमानवीय है। प्रभावित लोग अब बेघर हो गए हैं और उनकी आजीविका छिन गई है।
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन: आरोप है कि कई मामलों में उचित नोटिस या कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे लोगों को अपने बचाव का मौका नहीं मिल पा रहा है।
भेदभाव के आरोप: कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई विशेष समुदायों या वर्गों को निशाना बनाकर की जा रही है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
मानवाधिकारों का हनन: विपक्ष ने इस कार्रवाई को गरीबों के मानवाधिकारों का हनन बताया और सरकार से इसे तुरंत रोकने की मांग की।
संसद में विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया, नारेबाजी की और सरकार से इस पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने और गरीबों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई विस्तृत जवाब नहीं आया है, लेकिन सत्ता पक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई कानून के तहत अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए की जा रही है।
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