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Up Kiran, Digital News: जिस तरह सूरज बिना किसी भेदभाव के उजाला करता है, ठीक वैसे ही माँ अपने बच्चों के लिए स्नेह, ममता और त्याग की मिसाल होती है। 11 मई को हम ‘मदर्स डे’ मना रहे हैं, लेकिन क्या सिर्फ एक दिन माँ के लिए काफी है।
असल में माँ हर दिन के लिए है। हर सुबह की शुरुआत उसकी ममता से होती है और हर रात का सुकून उसकी दुआओं में छिपा होता है।
'माँ' शब्द का अर्थ जानें
"माँ" शब्द को अगर हम सिर्फ एक भाषा की परिभाषा में बांधें तो ये अन्याय होगा। लेकिन फिर भी अगर भावनाओं की गहराई से देखा जाए, तो…
- माँ = ममता + आत्मा + ईश्वर
- 'म' से ममता
- 'आ' से आत्मा
- 'ए' से ईश्वर
ये कोई धार्मिक सूत्र नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सत्य है – माँ वह है, जो आत्मा से जुड़ी होती है और ईश्वर की तरह निःस्वार्थ प्रेम करती है।
एक माँ के बिना जीवन अधूरा क्यों
आपने कभी सोचा है कि जब आप तकलीफ में होते हैं, तो सबसे पहले किसका ख्याल आता है- "माँ"। क्,? क्योंकि वह आपकी पहली दोस्त, पहली शिक्षक और पहली हीरो होती है। जब दुनिया से हार मानने का मन करता है, माँ की आवाज में हिम्मत मिलती है।
जब हम गिरते हैं, माँ हमें उठाती नहीं, उड़ना सिखाती है। और जब हम चुपचाप रोते हैं, माँ बिना कहे हमारी पीड़ा समझ जाती है। माँ की ममता को कोई सीमा नहीं होती। वह चाहे सुबह से रात तक काम कर रही हो, या थकी हुई हो – अगर बच्चा भूखा हो, तो वह बिना कुछ कहे अपने हिस्से का खाना दे देती है।
एक माँ की आत्मा हर बच्चे के लिए तड़पती है। सिर्फ अपने नहीं, दूसरों के बच्चों के लिए भी। उसके लिए हर बच्चा अनमोल होता है, जैसे ईश्वर के लिए हर आत्मा।
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