img

Up Kiran, Digital Desk: साल 17 सितंबर को हमारे देश में एक ख़ास दिन मनाया जाता है, जिसे हम विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती के नाम से जानते हैं. यह दिन सिर्फ एक पूजा या त्योहार नहीं है, बल्कि यह दिन उन सभी कारीगरों, कलाकारों, और हर उस इंसान को समर्पित है जो अपने हुनर और औज़ारों से दुनिया को और बेहतर बनाते हैं.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा: हमारे पुराणों में भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी और दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग लोक, द्वारका नगरी, और देवताओं के हथियार, सब कुछ भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था. इसीलिए उन्हें निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है.

क्यों करते हैं हम इस दिन औज़ारों की पूजा?

ज़रा सोचिए, हमारे जीवन में औज़ारों का कितना महत्व है. एक मज़दूर की छेनी-हथौड़ी से लेकर एक इंजीनियर के लैपटॉप तक, ये सभी औज़ार हमारे काम को आसान बनाते हैं और हमें रोज़ी-रोटी कमाने में मदद करते हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन हम इन्हीं औज़ारों की साफ़-सफाई करते हैं, उनकी पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमें यह हुनर और काम करने की शक्ति दी.

इस दिन लोग अपनी मशीनों, गाड़ियों और फैक्ट्री में पूजा का आयोजन करते हैं. माहौल पूरी तरह भक्तिमय होता है. लोग नए कपड़े पहनते हैं, प्रसाद बांटते हैं और यह कामना करते हैं कि उनके औज़ार और मशीनें साल भर बिना किसी रुकावट के चलती रहें और उनके काम में तरक्की हो.

पूजा का असली मतलब

यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें अपने काम और अपने औज़ारों का हमेशा सम्मान करना चाहिए, चाहे हमारा काम छोटा हो या बड़ा. यह हमें याद दिलाता है कि मेहनत और लगन से किया गया कोई भी काम छोटा नहीं होता. तो अगली बार जब आप अपने आस-पास किसी कारीगर को काम करते देखें, तो उनके हुनर का सम्मान ज़रूर करें, क्योंकि वे भी भगवान विश्वकर्मा की ही कला को आगे बढ़ा रहे हैं.