img

Up Kiran, Digital Desk: गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई अक्सर भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। आईआईटी खड़गपुर से अमेरिका तक के उनके सफर ने तकनीकी दुनिया में नए आयाम जोड़े हैं। मगर अक्सर एक सवाल उनके प्रशंसकों को उलझन में डाल देता है क्या सुंदर पिचाई अब भी भारतीय नागरिक हैं या उन्होंने अमेरिकी नागरिकता अपना ली है।

इस सवाल का जवाब जितना सीधा लगता है, उतना ही चौंकाने वाला भी है।

पुरानी दोस्ती, नई चर्चा

हाल ही में सुंदर पिचाई लंदन में अपने कॉलेज के दिनों के एक पुराने मित्र से मिले। यह दोस्त अब इस्कॉन के साधु के रूप में जाने जाते हैं और उनका नाम है गौरांग दास। दोनों आईआईटी खड़गपुर के एक ही बैच में पढ़े थे।

मुलाक़ात के दौरान पिचाई ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, “गौरांग मुझसे छोटे लगते हैं।” इस पर गौरांग ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “क्योंकि मैं ईश्वर से जुड़ा हूँ और आप आजकल तनाव से।” इस मज़ाकिया बातचीत ने पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर दीं और उसी दौरान नागरिकता को लेकर भी सवाल उठे।

शिक्षा का सफर और अमेरिका की राह

आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुंदर पिचाई ने अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया और फिर व्हार्टन स्कूल ऑफ बिज़नेस से एमबीए किया। वहीं से उनका करियर टेक्नोलॉजी की ऊँचाइयों की ओर बढ़ा।

तो क्या सुंदर पिचाई अब भारतीय नहीं हैं?

बहुत से लोग अब भी उन्हें ‘भारतीय मूल का नागरिक’ मानते हैं, मगर तकनीकी तौर पर देखें तो पिचाई अब भारत के नागरिक नहीं हैं। उन्होंने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर ली है, और भारतीय कानून के अनुसार, जैसे ही कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता ग्रहण करता है, भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।

फिर भी भारत से रिश्ता बरकरार

हालांकि भारतीय नागरिकता छूट चुकी है, मगर भारत सरकार सुंदर पिचाई जैसे प्रवासी भारतीयों को "ओसीआई कार्ड" देती है—जिसका मतलब है "ओवरसीज़ सिटिजन ऑफ इंडिया"। यह कार्ड उन्हें भारत में आने-जाने, संपत्ति खरीदने और निजी क्षेत्र में कार्य करने की छूट देता है, मगर मतदान, सरकारी नौकरी या संवैधानिक पदों पर नियुक्ति का अधिकार नहीं देता।

भारत से जड़ें अब भी गहरी हैं

सुंदर पिचाई ने एक साक्षात्कार में कहा था, “भारत मेरी रगों में बहता है।” उन्होंने यह भी साझा किया कि बचपन में उन्होंने भी वही संघर्ष और अभाव देखे जो अधिकांश भारतीय बच्चे झेलते हैं। पिचाई ने स्वीकार किया कि उनकी सोच और मूल्यों की नींव भारतीय समाज में ही पड़ी थी, और वह आज भी भारत से मानसिक और भावनात्मक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं।

--Advertisement--