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Up kiran,Digital Desk : “हैलो! मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ... आपका भाई हमारे कब्जे में है, छुड़वाना है तो एक लाख रुपये खाते में डाल दो।” यह वो एक फोन कॉल थी, जिसने उत्तर प्रदेश के बलिया में रहने वाले आशुतोष कुमार तिवारी के होश उड़ा दिए। पुलिस का नाम सुनते ही कोई भी घबरा जाएगा, और आशुतोष भी घबरा गए। उन्होंने बिना सोचे-समझे, अपने भाई को बचाने के लिए ठगों के बताए बैंक खाते में पैसे जमा भी करा दिए।

लेकिन यह कोई असली पुलिस नहीं, बल्कि फर्जी पुलिस बनकर लोगों को डराने और लूटने वाले साइबर ठगों का एक शातिर गिरोह था, जिसका मोतिहारी पुलिस ने अब भंडाफोड़ कर दिया है।

कैसे खुला यह पूरा खेल?

पैसे देने के कुछ देर बाद, जब आशुतोष को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है, तो उन्होंने तुरंत साइबर पुलिस के पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। बस, यहीं से इन शातिर ठगों की उल्टी गिनती शुरू हो गई।

पुलिस ने ऐसे बिछाया जाल:

  1. पहली कड़ी- बैंक खाता: पुलिस ने सबसे पहले उस बैंक खाते को खंगाला, जिसमें पैसे जमा कराए गए थे। खाता निकला हरैया थाना क्षेत्र के शिवपूजन प्रसाद कुशवाहा का।
  2. पूछताछ में उगला राज: पुलिस ने जब शिवपूजन को उठाकर पूछताछ की, तो उसने पूरा राज उगल दिया। उसने पुलिस को उन असली खिलाड़ियों के नाम बता दिए, जो इस खेल को चला रहे थे।
  3. असली खिलाड़ी गिरफ्तार: शिवपूजन की निशानदेही पर, पुलिस ने रक्सौल इलाके से दो मुख्य साइबर ठगों, महेंद्र कुमार और राजा कुमार सोनी, को धर दबोचा।

मोतिहारी के साइबर डीएसपी ने बताया कि यह गिरोह इसी तरह फर्जी पुलिस बनकर लोगों में डर पैदा करता था और फिर उनसे मोटी रकम ऐंठता था। इन दोनों की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता है, और अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन्होंने और कितने लोगों को अपना शिकार बनाया है।

यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है, जिन्हें कभी भी इस तरह का कोई फोन कॉल आए। घबराने की बजाय, पहले अपने परिवार वालों से संपर्क करें और पुलिस को सूचित करें।