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Up Kiran, Digital Desk: इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक ऐसी आम पाचन संबंधी समस्या है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज शामिल हैं, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इन लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं, जिनमें से एक प्रभावी तरीका है 'लो-फोडमैप डाइट।

क्या है FODMAP? FODMAP (Fermentable Oligosaccharides, Disaccharides, Monosaccharides, and Polyols) एक प्रकार के कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो छोटी आंत में ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते। जब ये बड़ी आंत में पहुँचते हैं, तो बैक्टीरिया इन्हें किण्वित (ferment) करते हैं, जिससे गैस, सूजन और पेट दर्द जैसे IBS के लक्षण पैदा होते हैं।

लो-फोडमैप डाइट कैसे काम करती है?
लो-फोडमैप डाइट का सिद्धांत ऐसे खाद्य पदार्थों को सीमित करना है जिनमें इन FODMAPs की मात्रा अधिक होती है। यह डाइट तीन चरणों में लागू की जाती है:

उन्मूलन चरण (Elimination Phase): इस चरण में, उच्च-फोडमैप वाले सभी खाद्य पदार्थों को 2-6 सप्ताह के लिए आहार से हटा दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि क्या लक्षणों में सुधार होता है।

पुनः परिचय चरण (Reintroduction Phase): एक बार जब लक्षणों में सुधार हो जाता है, तो उच्च-फोडमैप वाले खाद्य पदार्थों को एक-एक करके, छोटी मात्रा में, सावधानीपूर्वक दोबारा आहार में शामिल किया जाता है। इसका लक्ष्य यह पहचानना है कि कौन से खाद्य पदार्थ व्यक्ति विशेष में लक्षण पैदा करते हैं और उनकी सहनशीलता का स्तर क्या है।

अनुकूलन चरण (Personalization Phase): इस चरण में, व्यक्ति अपने व्यक्तिगत ट्रिगर्स (जिन खाद्य पदार्थों से उन्हें समस्या होती है) को जान जाता है और एक स्थायी आहार योजना बनाता है जिसमें केवल वही उच्च-फोडमैप खाद्य पदार्थ सीमित किए जाते हैं जिनसे उन्हें परेशानी होती है।

किन खाद्य पदार्थों से बचें और क्या खाएं?

उच्च-FODMAP खाद्य पदार्थ : प्याज, लहसुन, गेहूं, कुछ फल (सेब, आम, तरबूज), कुछ सब्जियां (फूलगोभी, मशरूम), डेयरी उत्पाद (दूध, दही), बीन्स, दालें, और कुछ मिठास (शहद, उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप)।

लो-FODMAP खाद्य पदार्थ: चावल, ओट्स, क्विनोआ, गाजर, पालक, आलू, टमाटर, केले, संतरे, अंगूर, लैक्टोज-मुक्त डेयरी, मांस, मछली और अंडे।

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