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Up Kiran, Digital Desk: आजकल, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। अक्सर लोग इन दोनों को अलग-अलग बीमारियां समझते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक के बीच एक गहरा संबंध है? ये दोनों बीमारियां शरीर में रक्त प्रवाह से जुड़ी गंभीर समस्याएं हैं और इनके लक्षण भी कुछ हद तक समान हो सकते हैं। इनकी गहरी समझ और शुरुआती लक्षणों को पहचानना जीवन बचाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक के बीच संबंध:
हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन) तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट आ जाती है। वहीं, स्ट्रोक (सेरेब्रल इन्फ्रक्शन) तब होता है जब मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने वाली धमनी में रुकावट आती है या वह फट जाती है। दोनों ही मामलों में, शरीर के महत्वपूर्ण अंगों (हृदय या मस्तिष्क) को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे वे क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।

इन दोनों बीमारियों का मुख्य कारण अक्सर एक ही होता है - धमनियों का सख्त होना और उनमें प्लाक जमना (एथेरोस्क्लेरोसिस)। उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान और खराब जीवनशैली इन दोनों ही स्थितियों के जोखिम को बढ़ाती हैं।

हार्ट अटैक के प्रमुख लक्षण:

सीने में दर्द या दबाव: यह दर्द छाती के बीच में या बाईं ओर हो सकता है, जो अक्सर भारीपन, जकड़न या दबाव जैसा महसूस होता है।

दर्द का फैलना: दर्द बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट तक फैल सकता है।

सांस लेने में तकलीफ: अचानक सांस फूलना या सांस लेने में कठिनाई।

 

ठंडा पसीना: अत्यधिक ठंडा पसीना आना।

मतली या उल्टी: पेट खराब महसूस होना।

 

चक्कर आना या बेहोशी: अचानक कमजोरी या चक्कर आना।

B (Balance): अचानक संतुलन खोना या चक्कर आना।

E (Eyes): एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखाई देना या अचानक दृष्टि हानि।

F (Face drooping): चेहरे के एक तरफ का लटक जाना या असंतुलित होना, मुस्कुराने में परेशानी।

A (Arm weakness): एक हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन, खासकर शरीर के एक तरफ।

S (Speech difficulty): बोलने में कठिनाई, तुतलाना या दूसरों की बात समझने में दिक्कत।

T (Time to call emergency): यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत आपातकालीन सहायता (जैसे 108) के लिए कॉल करें।

रोकथाम है कुंजी: दोनों ही बीमारियों से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। इसमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से परहेज, तनाव प्रबंधन और रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल व मधुमेह को नियंत्रित रखना शामिल है। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। समय पर पहचान और उपचार जीवन बचा सकता है!

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