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Up kiran,Digital Desk : हम भारतीयों के लिए ट्रेन का सफर किसी रोमांस से कम नहीं होता। खिड़की वाली सीट, चाय की चुस्कियां और लंबा सफर। लेकिन जरा सोचिए, अगर इसी खुशमिजाज सफर के बीच अचानक आपकी या आपके परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब हो जाए तो? घबराहट होना लाजिमी है, खासकर तब जब ट्रेन किसी सुनसान इलाके से गुजर रही हो।

ज्यादातर लोगों को लगता है कि ट्रेन में मेडिकल मदद मिलना मुश्किल है, लेकिन भारतीय रेलवे के पास इसके लिए बहुत सुलझे हुए नियम हैं। अगर आपको जानकारी हो, तो आप बड़ी आसानी से मदद पा सकते हैं।

कैसे बुलाएं चलती ट्रेन में डॉक्टर?

अगर आपको लगता है कि मरीज की हालत ज्यादा खराब है और उसे डॉक्टर की जरूरत है, तो इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं है।

  1. टीटीई से संपर्क करें: सबसे पहले अपनी कोच के टीटीई (TTE) को ढूंढें और उन्हें मरीज की हालत के बारे में बताएं। टीटीई तुरंत कंट्रोल रूम को मैसेज भेजेगा। इसके बाद, ट्रेन के अगले बड़े स्टेशन पर रेलवे का डॉक्टर आपकी सीट पर आकर मरीज की जांच करेगा।
  2. कॉल करके मदद मांगें: अगर टीटीई नहीं मिल रहा, तो अपने फोन से रेलवे का हेल्पलाइन नंबर 139 डायल करें। यह नंबर मेडिकल इमरजेंसी में बहुत काम आता है। इस पर बात करके आप मेडिकल मदद मांग सकते हैं। यह सुविधा पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस सभी ट्रेनों में मिलती है।

फ्री नहीं है यह सर्विस, लेकिन महंगी भी नहीं

अक्सर लोगों में यह भ्रम रहता है कि सरकारी सुविधा है तो मुफ्त होगी। यहाँ थोड़ा सावधान रहें। रेलवे डॉक्टर बुलाने की सुविधा देती है, लेकिन यह मुफ्त नहीं है। डॉक्टर की विजिट के लिए आपको 100 रुपये की फीस (Consultation Fee) देनी होगी। इसके अलावा, अगर डॉक्टर कोई इंजेक्शन लगाता है या दवा देता है, तो उसके पैसे आपको अलग से देने होंगे। लेकिन इमरजेंसी में यह 100-200 रुपये का खर्चा जान बचाने से बड़ा नहीं है।

छोटी-मोटी परेशानी के लिए नहीं देने होंगे पैसे

हर बार डॉक्टर बुलाने की जरूरत नहीं होती। अगर सफर के दौरान किसी को अचानक सिरदर्द, हल्का बुखार, उल्टी या चोट लगने जैसी समस्या हो, तो आप टीटीई या ट्रेन के गार्ड से संपर्क कर सकते हैं।

नियमों के मुताबिक, ट्रेन के गार्ड और टीटीई के पास एक 'फर्स्ट एड बॉक्स' होता है। इसमें जरूरी दवाइयां, पट्टी और एंटीसेप्टिक जैसी चीजें होती हैं। खुशी की बात यह है कि इस फर्स्ट एड वाली दवा का आपसे कोई पैसा नहीं लिया जाता।

तो अगली बार जब भी ट्रेन में चढ़ें, तो यह बात याद रखें। खुद भी जागरूक बनें और अपने सह-यात्रियों को भी इसके बारे में बताएं। जानकारी ही बचाव है।