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Up Kiran , Digital Desk: पटना की गर्म दोपहर और जेडीयू ऑफिस का माहौल उस दिन कुछ खास था। गुरुवार को जो नज़ारा देखने को मिला उसने हर उस शख्स को स्कूल के पुराने दिनों की याद दिला दी जब क्लास में अचानक हेडमास्टर की एंट्री से सब कुछ ठहर-सा जाता था। कुछ ऐसा ही माहौल बना जब बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे पार्टी कार्यालय पहुंच गए।
अचानक हुए इस 'इंस्पेक्शन' में सब हड़बड़ा गए
उस वक्त जेडीयू कार्यालय में पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक चल रही थी। सब अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा में व्यस्त थे कि तभी एकदम से दरवाजे से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रवेश होता है। उनके साथ केंद्रीय मंत्री ललन सिंह प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा एमएलसी संजय गांधी और अन्य कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री को सामने देखकर वहां मौजूद नेता और प्रवक्ता अचकचा गए। ऐसा लगा जैसे स्कूल की क्लास में अचानक हेडमास्टर घुस आए हों। किसी को समझ ही नहीं आया कि खड़े हों या बैठें हाथ जोड़ें या रिपोर्ट दिखाएं। लेकिन नीतीश कुमार ने अपने सहज स्वभाव से माहौल को जल्दी ही सामान्य कर दिया।
नेता नहीं र्गदर्शक की भूमिका में दिखे नीतीश कुमार
नीतीश कुमार उस दिन केवल एक नेता की भूमिका में नहीं थे। उन्होंने जिस अंदाज़ में ऑफिस का जायजा लिया उसमें एक मार्गदर्शक और शिक्षक झलक रहे थे। उन्होंने ललन सिंह से कहा "यह सब काम हमने करवा दिया है आप देख लीजिए।" इस पर ललन सिंह ने जवाब दिया "हमने देख लिया है।" यह संवाद बताता है कि कार्यों की निगरानी और जिम्मेदारी का संतुलन किस प्रकार पार्टी नेतृत्व के भीतर बना हुआ है।
नीतीश कुमार का यह दौरा भले ही औपचारिक न हो लेकिन इसका संदेश बेहद स्पष्ट था। पार्टी में अनुशासन कार्य की पारदर्शिता और नियमित निगरानी अब केवल अपेक्षा नहीं बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।
यह "हेडमास्टर मोड" एक तरह से संकेत है कि पार्टी की आंतरिक बैठकों में भी अब ऊर्जावान और सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
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