Up Kiran, Digital Desk: आजकल दुनिया भर के व्यापार में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। अमेरिका की नई व्यापार नीतियों और टैरिफ की वजह से कई देश परेशान हैं। ऐसे मुश्किल समय में, भारत ने एक भरोसेमंद दोस्त का हाथ और मज़बूती से थाम लिया है, और वो दोस्त है जापान। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी का जापान दौरा सिर्फ एक सामान्य मुलाकात नहीं थी, बल्कि बदलते हुए विश्व में भारत की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था।
क्या है भारत-जापान की इस दोस्ती का मतलब?
जब एक बड़ी आर्थिक ताकत (जैसे अमेरिका) अपने नियम बदलती है, तो बाकी देशों को नए रास्ते खोजने पड़ते हैं। भारत और जापान इसी नए रास्ते पर साथ चल रहे हैं। दोनों देश समझ चुके हैं कि अगर मिलकर काम करेंगे, तो किसी एक देश पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं।
इस दौरे का सबसे बड़ा मकसद था आपसी व्यापार, टेक्नोलॉजी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करना। जापान की बुलेट ट्रेन टेक्नोलॉजी हो या भारत का बढ़ता हुआ डिजिटल बाजार, दोनों देशों के पास एक-दूसरे को देने के लिए बहुत कुछ है। यह दोस्ती सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
सरल शब्दों में कहें, तो जब दुनिया के व्यापार का नक्शा दोबारा बन रहा है, तब भारत और जापान मिलकर इस नए नक्शे पर अपनी एक मज़बूत और गहरी छाप छोड़ रहे हैं। यह एक ऐसी दोस्ती है, जो आने वाले कई सालों तक दोनों देशों की तरक्की की कहानी लिखेगी
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