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Up Kiran, Digital Desk: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर अपनी दृढ़ता दिखाते हुए जर्मनी में फंसी भारतीय बच्ची अरिहा शाह का मुद्दा जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल के सामने पूरी मजबूती से उठाया है. जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत चाहता है कि अरिहा को जल्द से जल्द भारत वापस भेजा जाए ताकि वह अपनी भाषा, अपने धर्म, अपने कल्चर और अपने माहौल में पल-बढ़ सके.

क्या है अरिहा शाह का दर्दनाक मामला?

अरिहा शाह, जो अब लगभग चार साल की हो चुकी है, पिछले तीन साल से जर्मनी में एक फॉस्टर होम (पालना घर) में रहने को मजबूर है. यह दिल दहला देने वाला मामला सितंबर 2021 का है, जब अरिहा सिर्फ सात महीने की थी.

उसके माता-पिता, धारा और भावेश शाह, नौकरी के सिलसिले में जर्मनी के बर्लिन में रहते थे. एक दिन गलती से बच्ची को चोट लग गई और वे उसे डॉक्टर के पास ले गए. लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इसे यौन शोषण का मामला समझकर जर्मन चाइल्ड सर्विसेज 'जुगेंडाम्ट' को इसकी सूचना दे दी. तब से जर्मन अधिकारियों ने बच्ची को अपनी कस्टडी में ले लिया.

हालांकि, बाद में जांच में यौन शोषण के आरोप झूठे साबित हुए, लेकिन जर्मन अधिकारियों ने बच्ची को यह कहते हुए वापस करने से इनकार कर दिया कि उसके माता-पिता उसका सही से पालन-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं. तब से, भारत सरकार और अरिहा के माता-पिता उसे वापस लाने के लिए लगातार कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं.

जयशंकर ने जर्मनी को क्या कहा?

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने जर्मन समकक्ष से साफ शब्दों में कहा, "हमारे लिए यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है कि एक भारतीय नागरिक के रूप में अरिहा के भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के अधिकारों का सम्मान हो. हमारी पूरी कोशिश है कि बच्ची जल्द से जल्द भारत लौटे." उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह मामला दोनों देशों के संबंधों में एक "बहुत संवेदनशील" मुद्दा बन गया है.

भारत लगातार यह तर्क दे रहा है कि बच्ची को किसी अनजान देश में, किसी अनजान कल्चर में रखना उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन है. इस मुलाकात के बाद अब एक बार फिर उम्मीद जगी है कि शायद जर्मनी भारत की भावनाओं को समझेगा और अरिहा शाह की घर वापसी का रास्ता साफ होगा.

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