Up kiran,Digital Desk : कानपुर में एक नौजवान सिपाही की ज़िंदगी का अंत इतना दर्दनाक होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। डायल 112 की गाड़ी पर तैनात एक 30 साल के सिपाही ने सोमवार की रात अपनी जान दे दी। लेकिन मौत को गले लगाने से पहले उसने इंस्टाग्राम पर एक ऐसी रील पोस्ट की, जिसके शब्द हर किसी का दिल दहला रहे हैं। यह कहानी है उस दर्द की, जो शायद वर्दी के पीछे कहीं छिपा रह गया था।
वो आखिरी अल्फाज…
"रुतबा तो मरने के बाद भी रहेगा, लोग पैदल चलेंगे और हम चार कंधों पर... मैं मुस्कुराते हुए मरूंगा, जीते जी मुझे खुशी नहीं मिली..."
ये चंद लाइनें उस गहरे दर्द की तरफ इशारा कर रही थीं, जिसे शायद कोई समझ नहीं पाया। यह एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपी उस तन्हाई की कहानी थी, जिसने उसे यह खौफनाक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
कैसे हुआ घटना का खुलासा?
इस पूरी घटना का पता भी बड़े ही नाटकीय ढंग से चला। कल्याणपुर थाने में ही तैनात एक दरोगा हितेंद्र, जो महेंद्र के ही मकान में किराए पर रहते थे, मंगलवार दोपहर करीब एक बजे अपना हेलमेट लेने उसके कमरे पर पहुँचे। दरवाजा अंदर से बंद था। काफी खटखटाने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने बगल की खिड़की का शीशा तोड़ा।
अंदर का मंजर देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। महेंद्र का शव पंखे के सहारे रस्सी से लटका हुआ था। उन्होंने फौरन थाने में सूचना दी, जिसके बाद आला अधिकारी और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुँची।
दो दिन पहले ही परिवार को भेजा था घर
मूल रूप से मथुरा के गोवर्धन के रहने वाले महेंद्र सिंह (30) की तैनाती कल्याणपुर में PRV (डायल 112) में थी। वह यहाँ IIT सोसाइटी के पास एक मकान में किराए पर रहता था। हैरान करने वाली बात यह है कि उसने सिर्फ दो दिन पहले ही, रविवार को अपनी पत्नी कविता और दो बेटों, तेजस और छोटू, को वापस मथुरा भेजा था। वे बस 10 दिन पहले ही उससे मिलने कानपुर आए थे।
महेंद्र के भाई हरेंद्र ने बताया कि रात में भाई से बात हुई थी, तब उसने ड्यूटी पर जाने की बात कहकर फोन काट दिया था। किसे पता था कि यह उसकी आखिरी बात होगी।
पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल - "क्यों?"
पुलिस ने महेंद्र का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया है और मामले की जांच कर रही है। ADCP अर्चना सिंह ने बताया कि खुदकुशी की वजह अभी तक साफ नहीं है। परिवार वालों के कानपुर पहुँचने का इंतज़ार किया जा रहा है। उनसे बातचीत के बाद ही शायद इस राज़ से पर्दा उठ पाएगा।
पुलिस के लिए अब सबसे बड़ी गुत्थी यही है कि आखिर वर्दी के पीछे छिपे इस दर्द की वजह क्या थी? क्या कोई पारिवारिक कलह थी, या फिर नौकरी का तनाव? इन सवालों के जवाब शायद अब महेंद्र के आखिरी स्टेटस और उसके मोबाइल फोन में ही छिपे हैं।
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