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Up Kiran, Digital Desk: भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश के पहले प्रमुख सिविल इंजीनियर और योजनाकार सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। उन्हें "आधुनिक भारत के इंजीनियरिंग नायक" और "आधुनिक मैसूर का निर्माता" कहा जाता है।

क्यों मनाया जाता है इंजीनियर दिवस?

यह दिन न केवल सर एमवी की स्मृति में मनाया जाता है, बल्कि उन सभी इंजीनियरों को सम्मान देने का अवसर भी है, जिन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1968 में पहली बार यह दिवस मनाया गया था, जो 1962 में उनके निधन के कुछ वर्षों बाद शुरू हुआ।

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया: एक दृष्टिकोण

जन्म: 15 सितंबर 1861, मुद्देनहल्ली, कर्नाटक

निधन: 14 अप्रैल 1962

शिक्षा: पुणे के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग

सम्मान: भारत रत्न (1955), K.C.I.E. (1915)

एक प्रेरणादायक सफर

सर एम. विश्वेश्वरैया का जीवन अनुशासन, परिश्रम और दूरदृष्टि का प्रतीक है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सहायक अभियंता के रूप में की थी।
कृष्णराज सागर बांध और खड़कवासला जलाशय जैसी परियोजनाओं में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई।

मैसूर के दीवान (1912-1918) के रूप में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, उद्योग और तकनीकी विकास जैसे कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी काम किए।

सर एम. विश्वेश्वरैया से जुड़े 9 रोचक तथ्य

15 साल की उम्र में पिता का निधन हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई में टॉप किया।

नासिक में पहली नौकरी, यहीं से उनके करियर की शुरुआत हुई।

खड़कवासला डैम की ‘ब्लॉक सिस्टम’ तकनीक आज भी एक उदाहरण मानी जाती है।

दीवान बनने के बाद उन्होंने उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया।

भद्रावती आयरन एंड स्टील प्लांट की स्थापना में उनका योगदान अहम रहा।

बेंगलुरु में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जो अब उनके नाम से जाना जाता है।

उन्हें ब्रिटिश सरकार ने ‘K.C.I.E’ की उपाधि दी।

भारत सरकार ने 1955 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

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