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Up Kiran, Digital Desk: श्रावण यानी सावन का महीना शुरू होते ही देशभर में धार्मिक वातावरण गहराने लगता है। खासतौर पर उत्तर भारत में यह महीना केवल भक्ति तक सीमित नहीं रह जाता बल्कि समाज और जनजीवन पर भी इसका खासा असर दिखता है। बारिश से नहाए मंदिरों में भक्तों की भीड़, घंटियों की गूंज और हर ओर शिव भक्ति की धारा सावन सिर्फ एक धार्मिक समय नहीं, एक सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है।

इस साल 14 जुलाई को पहला सावन सोमवार पड़ रहा है, जो शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। कुल चार सोमवार पड़ने वाले हैं और हर सोमवार को मंदिरों में भक्त विशेष व्रत और पूजा-पाठ कर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने की कोशिश करेंगे।

भक्ति के साथ-साथ सामाजिक जीवन पर भी असर

श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार देखा जाता है। विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं में व्रत-उपवास और धार्मिक क्रियाकलापों के प्रति रुझान बढ़ जाता है। अविवाहित कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की कामना के साथ सोमवार का व्रत रखती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं।

मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर बढ़ती भीड़ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है। फूल, फल, पूजा सामग्री, जल पात्र आदि की मांग बढ़ जाती है, जिससे छोटे दुकानदारों को भी रोज़गार का अवसर मिलता है। सावन के महीने में भक्ति और बाजार दोनों चलते हैं।

पौराणिक कथाएं बनाती हैं इसे विशेष

सावन की धार्मिक मान्यताएं गहराई से जुड़ी हुई हैं। समुद्र मंथन की घटना हो या देवी पार्वती का तप, इन कथाओं ने इस महीने को विशेष बना दिया है। मान्यता है कि इसी समय भगवान शिव ने विषपान कर जगत की रक्षा की थी, जिसे शांत करने के लिए उन्हें जल अर्पित किया गया। यही परंपरा आज भी रुद्राभिषेक के रूप में जारी है।

इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि देवी पार्वती ने इसी माह में कठोर तप कर शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह महीना महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है।

आध्यात्मिकता से मानसिक संतुलन तक

बरनाला के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यकांत शास्त्री का मानना है कि सावन केवल पूजा-पाठ का समय नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक संतुलन का भी अवसर है। उनके अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करता है, उसे न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।

पंडित शास्त्री यह भी बताते हैं कि सावन के महीने में नियमित रूप से मंत्र-जाप और पूजा करने से ज्योतिषीय दोषों—जैसे कालसर्प योग, पितृ दोष या शनि के अशुभ प्रभाव—में भी राहत मिलती है।

 

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