
Up Kiran, Digital Desk: आज जब दुनिया "खतरनाक और बँटी हुई" नज़र आ रही है, तब संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया को महात्मा गांधी का संदेश याद दिलाया है। उन्होंने कहा है कि हमें गांधी जी के दिखाए रास्ते पर चलकर एक "न्यायपूर्ण, टिकाऊ और शांतिपूर्ण दुनिया" बनाने के लिए काम करना चाहिए।
गांधी जयंती और संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर उन्होंने कहा, "गांधी जी समझते थे कि अहिंसा कमज़ोरों का नहीं, बल्कि साहसी लोगों का हथियार है। यह एक ऐसी ताकत है जो बिना नफरत के अन्याय का सामना करती है, बिना क्रूरता के दमन का विरोध करती है और सम्मान के ज़रिए शांति बनाती है, किसी पर हावी होकर नहीं।"
गुटेरेस ने आज के हालात पर चिंता जताते हुए कहा, "आज की दुनिया में बातचीत की जगह हिंसा ले रही है और शांति की नींव कमज़ोर पड़ रही है।" उन्होंने दुनिया से अपील की, "आइए, इस मुश्किल समय में हम गांधी जी के दिखाए रास्ते पर चलने की हिम्मत जुटाएं, लोगों के दुखों को खत्म करें, कूटनीति को आगे बढ़ाएं, आपसी मतभेदों को दूर करें और सभी के लिए एक अच्छी दुनिया बनाएं।"
पूरी दुनिया ने गांधी को याद किया
इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के मिशन ने एक चर्चा का आयोजन किया, जिसका विषय था "टिकाऊ वैश्विक शांति के लिए अहिंसा और गांधीवादी सिद्धांतों की प्रासंगिकता"।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि, पी. हरीश ने कहा कि शांति की इच्छा हज़ारों सालों से हर सभ्यता में रही है, चाहे वो वेदों और उपनिषदों के 'शांति मंत्र' हों, अरबी में 'सलाम' कहना हो, या यहूदी परंपरा में 'शालोम' कहना हो। उन्होंने कहा कि आज की मुश्किल चुनौतियों के बीच भी गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाना बहुत ज़रूरी है।
नेपाल के प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद के अध्यक्ष, लोक बहादुर थापा ने कहा कि गांधी के मूल्य और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (यानी दुनिया को बेहतर बनाने के लक्ष्य) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
अहिंसा सिर्फ कुछ न करना नहीं है
उन्होंने समझाया, "अहिंसा का मतलब सिर्फ कोई कार्रवाई न करना नहीं है, बल्कि यह नैतिक सिद्धांतों के साथ किया गया एक प्रतिरोध है। यह बिना नफरत के अन्याय से लड़ने की ताकत है।"
दक्षिण अफ्रीका से लेकर जर्मनी तक, गांधी आज भी प्रासंगिक हैं
इस चर्चा में यह बात भी सामने आई कि गांधी जी के अहिंसक आंदोलन के बीज दक्षिण अफ्रीका में ही पड़े थे, जब वह वहाँ एक युवा वकील थे। बाद में उन्हीं सिद्धांतों ने दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद से लड़ने में मदद की।
दक्षिण अफ्रीका की प्रतिनिधि ने कहा, "गांधी के विचारों ने न केवल भारत के नेतृत्व को, बल्कि दुनिया भर के कई स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रभावित किया है। हमारे देश में रंगभेद के खिलाफ हुए संघर्ष पर भी उनका गहरा असर था।"
वहीं, जर्मनी के प्रतिनिधि ने बताया कि कैसे बिना एक भी गोली चलाए पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ। उन्होंने कहा कि यह घटना अहिंसा की ताकत को दिखाती है। उन्होंने कहा, “यह हमें याद दिलाता है कि भले ही हमारी चुनौतियां जटिल हैं, लेकिन बातचीत, धैर्य और सुलह जैसे साधन आज भी उतने ही शक्तिशाली हैं जितने पहले थे।”