Up Kiran, Digital Desk: कॉर्पोरेट (Corporate) दुनिया में टाटा ग्रुप का नाम आते ही मन में एक भरोसा, एक प्रतिष्ठा का एहसास होता है। लेकिन हम सब रतन नवल टाटा को सिर्फ़ एक बिजनेस लीडर (Business Leader) या इंडस्ट्री टाइकून (Tycoon) के तौर पर नहीं जानते और न ही याद करते हैं। हम उन्हें याद करते हैं उस तरह के 'बॉस', उस तरह के इंसान के रूप में, जो अपनी जगह छोड़ने के बाद भी हमें हर कदम पर याद आते हैं।
वह कौन से रतन टाटा हैं जिनकी कमी खलती है?
वो टाटा जिनकी आज सबसे ज़्यादा कमी खलती है, वो हैं 'पीपुल फ़र्स्ट' वाले नेता। वो दौर, जब कर्मचारियों का ध्यान सिर्फ मुनाफा नहीं होता था, बल्कि वह व्यक्ति का सम्मान होता था, उनकी जरूरतों को समझा जाता था।
जहाँ पैसा सिर्फ एक नतीजा था, उद्देश्य नहीं: रतन टाटा का काम करने का तरीका हमेशा मुनाफ़े को अंतिम लक्ष्य नहीं मानता था। उनका उद्देश्य अपने लोगों और अपने ग्राहकों के जीवन में वैल्यू (Value) जोड़ना था। वह ऐसे काम करना चाहते थे जिनसे देश को गर्व हो, समाज का भला हो।
सिर्फ़ एक चेयरमैन नहीं, बल्कि एक संरक्षक (Mentor): वे बैठकों में शामिल होने से लेकर हर बड़े प्रोजेक्ट पर व्यक्तिगत रूप से नजर रखते थे। वह ऐसे फैसलों के साथ खड़े रहे, जहाँ उन्होंने कर्मचारियों को कभी अकेले महसूस नहीं होने दिया, भले ही वह संकट का दौर क्यों न हो। (याद कीजिए, उन्होंने एक बार बिना हिचके अपने विरोधियों की साज़िश को भांपते हुए न सिर्फ 'टी सीरीज़' से एक डील की थी, बल्कि अपनी कंपनी के भीतर भी उन्होंने हर चुनौती में एक पिता समान मार्गदर्शन दिया)।
सुलझा हुआ दृष्टिकोण (Poised Approach): उन्होंने जिस शांति और दृढ़ता से जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) और नैनो (Nano) जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया, वह असाधारण था। खासकर, जब मीडिया में आलोचना हुई या असफलता हाथ लगी, तब उनका सुलझा हुआ व्यक्तित्व एक सबक की तरह था। उनका मंत्र साफ़ था—ज़िम्मेदारियां लो और ईमानदारी से आगे बढ़ते रहो।
आजकल की तेज़ रफ्तार वाली कॉर्पोरेट दुनिया में, जहाँ बात-बात पर इस्तीफे की तलवार लटकती है या छोटी-छोटी ग़लतियों के लिए दोष मढ़ा जाता है, हमें 'टाटा' का विश्वास और 'कर्मचारियों को दूसरा मौका' देने की उनकी नीती सबसे ज़्यादा याद आती है।
हम ऐसे बिज़नेस लीडर्स की तलाश में हैं, जो विनम्र हों, अपने लोगों की दिल से कद्र करते हों, और समझते हों कि बड़ा कारोबार सिर्फ बैलेंस शीट पर नहीं बनता—बल्कि उन मानवीय मूल्यों (Human Values) पर खड़ा होता है जो लोगों के जीवन को छूते हैं। यह 'रतन टाटा' आज की भागती दुनिया के लिए सबसे बड़ा सबक है।




