
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका की ट्रम्प (Trump) प्रशासन की ओर से भारत की विदेश नीति और रूस तथा चीन के साथ उसके संबंधों को लेकर एक बार फिर तीखी टिप्पणी आई है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो (Peter Navarro) ने भारत की रूस से तेल खरीद को 'क्रेमलिन का लॉन्ड्रॉमेट' (Kremlin's Laundromat) करार दिया है। उनका आरोप है कि भारत यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ "खुलेआम दोस्ती" कर रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 50% तक टैरिफ (Tariff) लगाने की धमकी दी है, जबकि चीन पर ऐसे कड़े कदम नहीं उठाए हैं।
अमेरिकी सलाहकार के आरोप और भारत का पक्ष:
पीटर नवारो, जो ट्रम्प के कार्यकाल में व्यापार और विनिर्माण के वरिष्ठ सलाहकार रह चुके हैं, ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले भारत लगभग शून्य रूसी तेल खरीदता था, लेकिन अब यह खरीद 30-35% तक पहुंच गई है। उन्होंने इसे 'रिफाइनिंग प्रॉफिट शेयरिंग स्कीम' और 'क्रेमलिन के लिए लॉन्ड्रॉमेट' बताया। नवारो ने कहा कि भारत को रूस से तेल की आवश्यकता नहीं है और वह रूस की आक्रामकता में अपनी भूमिका को मान्यता नहीं देना चाहता, बल्कि शी जिनपिंग के साथ "दोस्ती" बढ़ा रहा है। उन्होंने भारत को 'टैरिफ का महाराजा' (Maharaja of Tariffs) भी कहा था।
वहीं, भारत ने अमेरिकी आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चिंता जताई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि अमेरिका का भारत को लक्षित करने का तर्क समझ से परे है, क्योंकि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और यूरोपीय संघ (EU) भी रूस से LNG का बड़ा खरीदार है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बाजार कारकों के आधार पर खरीद करता है और विश्व ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने में अमेरिका ने भी भारत से रूसी तेल खरीदने का आग्रह किया था। भारत ने रूसी तेल की बाजार दर पर खरीद को राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा का मामला बताया है।
भारत का 'संतुलनकारी कूटनीति' (Balancing Act):
ट्रम्प प्रशासन की टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर प्रतिबंधों की धमकियों के बीच, भारत अपनी संतुलनकारी कूटनीति को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। भारत रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों और रक्षा सहयोग को महत्व देता है, जबकि अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत कर रहा है। हाल के दिनों में, भारत ने चीन के साथ सीमा विवादों को सुलझाने और द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 'दोस्त' बताया है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की है।
भू-राजनीतिक संदर्भ और निहितार्थ:
अमेरिकी सलाहकार के बयान भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का संकेत देते हैं। वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर उसकी 'गुटनिरपेक्ष' (Non-Aligned) नीति पश्चिम के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। अमेरिका उम्मीद करता है कि उसके सहयोगी देश रूस और चीन के खिलाफ कड़े रुख अपनाएं, लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रम्प प्रशासन की 'अमेरिका फर्स्ट' (America First) नीति और टैरिफ का इस्तेमाल कूटनीति के हथियार के रूप में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को जटिल बना रहा है।
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