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Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की इन कालजयी पंक्तियों के साथ, भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), जनरल अनिल चौहान ने आज यह साफ कर दिया कि भारत अब अपनी रक्षा और युद्ध की रणनीति के लिए पश्चिम की ओर देखने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि भारत अपनी प्राचीन सैन्य बुद्धि, जैसे कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र, से प्रेरणा लेकर अपनी खुद की 'भारतीय युद्धनीति' (Indian way of war) विकसित करे।

जनरल चौहान ने दो-टूक शब्दों में कहा, "हम हमेशा के लिए युद्ध की पश्चिमी अवधारणाओं के गुलाम बनकर नहीं रह सकते।"

रांची में क्यों गरजे CDS?CDS जनरल अनिल चौहान रांची में आयोजित तीसरे जनरल के. एस. थिमैया मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे। यहां उन्होंने युद्ध, रणनीति और भारत की सैन्य भविष्य की दिशा पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गहरा भाषण दिया।

उन्होंने कहा कि पश्चिम के देशों, खासकर यूरोप और अमेरिका, ने अपने हिसाब से जंग के बनाए हैं। लेकिन भारत की भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक सच्चाइयां उनसे बहुत अलग हैं। इसलिए हमें आंखें मूंदकर उनकी नकल करने की जरूरत नहीं है।

भारत को चाहिए 'अपनी' युद्धनीति, उधार की नहीं

CDS ने जोर देकर कहा कि आज दुनिया की कोई भी सेना हमें यह नहीं सिखा सकती कि हमें युद्ध कैसे लड़ना है।

उन्होंने इसके पीछे कई ठोस कारण गिनाए:

अनूठा भूगोल: हमारा एक तरफ हिमालय है, दूसरी तरफ समंदर, और साथ ही हमारे दो परमाणु शक्ति-संपन्न पड़ोसी हैं (चीन और पाकिस्तान) जिनकी नीयत ठीक नहीं है। ऐसी भौगोलिक स्थिति दुनिया में किसी और देश की नहीं है।

जनसंख्या का तत्व: जंग सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती, जनता भी लड़ती है। 140 करोड़ की आबादी के नतीजों को कैसे प्रभावित करेगी, यह भी हमें सोचना होगा।

आर्थिक सच्चाइयां: हम अब भी एक विकासशील देश हैं। हम पश्चिम की तरह रक्षा पर बेतहाशा पैसा खर्च नहीं कर सकते। हमें कम संसाधनों में ज्यादा प्रभावी रणनीति बनानी होगी।

चीन-रूस को देखकर सीख रहा है भारत

जनरल चौहान ने रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की बढ़ती आक्रामकता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं हमें सिखा रही हैं कि आज के दौर में युद्ध के तरीके बदल गए हैं। अब जंग सिर्फ मैदान में नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था, सूचना और टेक्नोलॉजी के मोर्चों पर भी लड़ी जाती है।

उनका संदेश साफ था: 'नया भारत' अपनी रक्षा के लिए न केवल पूरी तरह से सक्षम है, बल्कि अपनी शर्तों पर युद्ध लड़ने और जीतने के लिए अपनी खुद की राह बनाने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।