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Up Kiran, Digital Desk: आज हमारे देश में हर दिन कई लोगों को गंभीर बीमारियों के कारण तत्काल अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) की ज़रूरत होती है, लेकिन समय पर डोनर (Donor) न मिल पाने की वजह से हर साल हजारों जानें चली जाती हैं। इसी मानवीय चुनौती को ध्यान में रखते हुए, सिक्किम के राज्यपाल (Governor) हरिभाऊ बागड़े (Haribhau Bagade) ने एक बहुत ही बड़ा और भावुक आह्वान किया है।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि अंगदान (Organ Donation) की चेतना अब केवल 'व्यक्तिगत निर्णय' न रहकर एक 'राष्ट्रीय जन आंदोलन' (Mass Movement) बनना चाहिए।

इस 'जन आंदोलन' की ज़रूरत क्यों है?

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने इस बात पर जोर दिया कि देश के पास उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं (Medical Facilities) हैं, लेकिन अगर दान के लिए अंग (Organ) उपलब्ध नहीं हैं, तो डॉक्टरों का हुनर भी कुछ नहीं कर सकता। उनके कहने का सीधा मतलब है कि यह सिर्फ सरकार या स्वास्थ्य सेवाओं की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर एक भारतीय नागरिक की सामाजिक ज़िम्मेदारी (Social Responsibility) है।

धर्म और दान: उनका मानना है कि हमें सभी प्रकार की धार्मिक अंधविश्वासों (Religious Superstitions) और भ्रांतियों को दूर करना होगा, जो लोगों को अंगदान के महान काम से रोकती हैं।

जागरूकता फैलाना: जब अंगदान एक 'जन आंदोलन' बन जाएगा, तो हर कोई इस बात के बारे में जागरूक (Aware) होगा कि मृत्यु (Death) के बाद उनके अंग दूसरे लोगों को नया जीवन (New Life) दे सकते हैं।

जीवनदान का महत्व: राज्यपाल ने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह जीना, मरने वाले व्यक्ति द्वारा दिए गए अंग का सबसे बड़ा सम्मान है।

परिवार को सहयोग देना ज़रूरी: राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का संदेश साफ़ है: हमें उन परिवारों (Family) के लिए एक समर्थन प्रणाली (Support System) बनाने की ज़रूरत है जो दुःख की घड़ी में यह बड़ा फैसला लेते हैं। उनके इस कदम की प्रशंसा होनी चाहिए, न कि समाज उन्हें हतोत्साहित (Discourage) करे। अंगदान अब हर नागरिक के कर्तव्यों में से एक होना चाहिए।