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Up kiran,Digital Desk : सोचिए, भारत हर दिन लगभग 9 करोड़ लोगों की पहचान सिर्फ़ डिजिटल तरीके से कन्फर्म करता है। ये स्पीड तो कई बड़े-बड़े विकसित देशों में भी नहीं है। यह कहना है राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का, जो हाल ही में एक बड़े फाइनेंशियल कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे थे। उन्होंने बड़े पते की बात कही कि भारत सिर्फ डिजिटल दुनिया का हिस्सा नहीं बन रहा है, बल्कि हम तो इस क्रांति के अगुवा हैं।

तो फिर हम रेस में पिछड़ क्यों रहे हैं?

इतनी बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के बावजूद, राघव चड्ढा ने एक ज़रूरी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "क्या हमने इंजन तो बना लिया, लेकिन गाड़ी चलाना भूल गए?" भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक बाज़ार है, यानी पैसों के लेन-देन की नई टेक्नोलॉजी में हम बस अमेरिका और ब्रिटेन से ही पीछे हैं। हमारे यहाँ 10,000 से ज़्यादा कंपनियाँ इस काम में लगी हैं।

लेकिन, इसके आगे क्या? उन्होंने चिंता जताई कि कहीं हमारी ये सफलताएँ सिर्फ म्यूज़ियम में रखने की चीज़ें बनकर न रह जाएँ।

एक नया खतरा: 'इंफ्रास्ट्रक्चर उपनिवेशवाद'

आजकल दुनिया क्रिप्टो करेंसी से आगे बढ़कर 'टोकनाइजेशन' की बात कर रही है। आसान भाषा में कहें तो बॉन्ड, ज़मीन-जायदाद, और लगभग हर चीज़ को डिजिटल बनाया जा रहा है। राघव चड्ढा ने चेतावनी दी कि अगर यह सारा काम भारत के बाहर होता रहा, तो हमारी अपनी संपत्ति का कारोबार विदेशी नेटवर्क पर होगा और सारा कंट्रोल बाहर चला जाएगा। इसे उन्होंने 'इंफ्रास्ट्रक्चर उपनिवेशवाद' का नाम दिया, जिससे देश की पूंजी और संप्रभुता दोनों बाहर जा सकती है।

इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को ब्लॉकचेन जैसी नई टेक्नोलॉजी के लिए सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए और टैक्स नियमों को आसान करना चाहिए।

टैक्स नीति का दर्द

चड्ढा ने मौजूदा टैक्स सिस्टम पर भी बात की। उन्होंने कहा कि 30% का सीधा टैक्स और ऊपर से TDS ने इस सेक्टर में काम करना बहुत मुश्किल बना दिया है। इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम गिरा है, लोग इस सेक्टर से दूर हुए हैं और सरकार को भी राजस्व का नुक़सान हुआ है। उन्होंने इस टैक्स प्रणाली में सुधार की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

निवेश की दुनिया के जानकारों ने भी रखी अपनी राय:

  • शशि कृष्णन (NISM): "हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन उस हिसाब से निवेशक बाज़ार में नहीं आ रहे। लोगों को सिर्फ़ पैसा जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि पैसा कहाँ लगाना है, यह सिखाने की ज़्यादा ज़रूरत है।"
  • लिमेश पारेख (एंजेय आईटी सॉल्यूशंस): "टेक्नोलॉजी ने बचत और निवेश को बहुत आसान बना दिया है, लेकिन इसका सही और सुरक्षित इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है।"
  • जितेन्द्र श्रीराम (बड़ौदा बीएनपी परिबास): "AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने निवेश की प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया है।"
  • राजेश सिंगला (एल्फा एआईएफ): "छोटे-छोटे शेयरों के पीछे भागने से अच्छा है, निवेशक अच्छी और उभरती हुई कंपनियों (SME) पर दांव लगाएँ। इसमें जोख़िम कम और मुनाफ़े की उम्मीद ज़्यादा होती है।"

इस कार्यक्रम में इंडस्ट्री के और भी कई बड़े दिग्गजों ने निवेश और भविष्य की टेक्नोलॉजी पर अपने विचार रखे, जिससे ये साफ हो गया कि भारत एक बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ा है, बस सही दिशा में कुछ और कदम उठाने की ज़रूरत है।