Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य संजीव सान्याल के एक बयान ने देश की न्यायपालिका और कानूनी जगत में हलचल मचा दी है. सान्याल ने हाल ही में न्यायपालिका को देश की आर्थिक तरक्की में "सबसे बड़ी बाधा" बताया था, जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने उन पर तीखा हमला बोला है.
कपिल सिब्बल ने सान्याल के इस बयान को "बचकाना" और "अपरिपक्व" करार देते हुए कहा कि आर्थिक मामलों में सलाहकार को ऐसे बेतुके बयान देने से बचना चाहिए.
क्या कहा था संजीव सान्याल ने?
संजीव सान्याल ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि देश के आर्थिक विकास की राह में जो भी बाधाएँ थीं, उन्हें सरकार ने धीरे-धीरे दूर कर दिया है, लेकिन अब सबसे बड़ी रुकावट न्यायपालिका बन गई है. उन्होंने कहा, "मैं बस यह कह रहा हूँ कि हमें इस बारे में सोचने की ज़रूरत है. क्या हमें अपनी न्याय व्यवस्था पर गर्व करना चाहिए? इस व्यवस्था की वजह से ही लाखों लोग जेलों में सालों-साल बंद रहते हैं. क्या यह कोई ऐसी चीज़ है जिस पर गर्व किया जा सके?"
सान्याल ने अदालती छुट्टियों पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब बाकी सब लोग गर्मी में काम करते हैं, तो जजों को छुट्टियों की क्या ज़रूरत है.
कपिल सिब्बल का करारा जवाब
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि एक आर्थिक सलाहकार का काम सरकार को अर्थव्यवस्था पर सलाह देना होता है, न कि न्यायपालिका की आलोचना करना. उन्होंने कहा, "किसी आर्थिक सलाहकार का इस तरह का बयान देना बेहद अपरिपक्व है. न्यायपालिका विकास में बाधा कैसे हो सकती है? अगर वो (सरकार) चाहती है कि कोई कानून असंवैधानिक घोषित न हो, तो उन्हें संविधान के हिसाब से कानून बनाना चाहिए."
सिब्बल ने यह भी कहा कि न्यायपालिका सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि यह देखने के लिए है कि सरकार जो भी कर रही है, वह कानून और संविधान के दायरे में है या नहीं. उन्होंने सवाल किया, “क्या वह चाहते हैं कि अदालतें बंद हो जाएँ ताकि सरकार जो चाहे वो कर सके?”
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