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Up Kiran, Digital Desk: जब भी किसी अपराध हादसे या आकस्मिक मौत की सूचना मिलती है तो सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने वालों में पुलिसकर्मी होते हैं। फोरेंसिक टीमों के आने से पहले वे न सिर्फ कानून-व्यवस्था की बुनियादी जिम्मेदारी निभाते हैं बल्कि उस जगह की तहकीकात करते हुए हर सुराग को संजोते हैं। मगर इस गंभीर माहौल में एक मानवीय पल ऐसा आता है जो अक्सर नज़रों से ओझल रह जाता है जब कोई पुलिस अधिकारी मृत शरीर के पास पहुंचकर अपनी टोपी उतार लेता है।

यह व्यवहार जिसे कई बार फिल्मों में भी दिखाया गया है असल जिंदगी में भी अनेक मौकों पर देखा गया है। सवाल यह है कि आखिर इस टोपी उतारने की क्रिया के पीछे क्या है? क्या यह कोई कानूनी प्रावधान है? क्या पुलिस नियमावली में ऐसा कुछ दर्ज है? या फिर यह केवल एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है?

क्यों ये कोई निमय है

पुलिस प्रशिक्षण मैनुअल या सेवा निर्देशों में ऐसा कोई स्पष्ट नियम नहीं है जो कहता हो कि किसी मृतक के सामने टोपी उतारना अनिवार्य है। न ही यह किसी विशेष धारा के अंतर्गत आता है। इसके बावजूद कई अनुभवी पुलिस अधिकारी और जवान यह परंपरा निभाते हैं और इसकी वजह सिर्फ एक है: सम्मान और संवेदना।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया ये कोई आदेश नहीं है यह एक स्वाभाविक मानवीय प्रतिक्रिया है। जब हम किसी मृतक के पास पहुंचते हैं तो टोपी उतारकर हम एक तरह से उसे अंतिम सम्मान देते हैं। यह उस जीवन के प्रति श्रद्धांजलि है जो अब इस दुनिया में नहीं है।

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