
Up Kiran, Digital Desk: करवा चौथ, सुहागिन महिलाओं के लिए साल का सबसे खास त्योहार होता है. इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए सुबह से लेकर रात तक बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं. रात को जब चांद निकलता है, तब उसे देखकर, पूजा करके और अर्घ्य देकर ही वे अपना व्रत खोलती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिन चांद की पूजा इतनी ज़रूरी क्यों है और उसे अर्घ्य क्यों दिया जाता है? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
क्यों खास है करवा चौथ पर चांद: शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और उन्हें लंबी उम्र का वरदान मिला हुआ है. साथ ही, चांद को सुंदरता, प्रेम और शांति का प्रतीक भी माना जाता है. जब सुहागिन महिलाएं चांद को देखकर पूजा करती हैं, तो वे असल में इन सभी गुणों को अपने पति के जीवन में शामिल करने की प्रार्थना करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार और अपनापन बढ़ता है और उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है.
अर्घ्य देने का क्या मतलब है: अर्घ्य देने का मतलब है कि हम किसी देवता को सम्मान के साथ कुछ अर्पित कर रहे हैं. करवा चौथ पर जब महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं और फिर पानी का अर्घ्य देती हैं, तो वे एक तरह से चंद्रमा को धन्यवाद करती हैं और उनसे अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मांगती हैं. यह एक बहुत पुरानी परंपरा है, जो इस त्योहार को और भी खास बना देती है.
पूजा का सही तरीका क्या है: इस दिन महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं. शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. रात को जब चांद निकलता है, तो महिलाएं छलनी में दीपक रखकर पहले चांद को देखती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं. इसके बाद वे चांद को जल चढ़ाती हैं (अर्घ्य देती हैं) और फिर पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं.