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Mahakumbh 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम महाकुंभ 13 जनवरी से यूपी के प्रयागराज में आयोजित हो रहा है और ये 45 दिनों तक चलेगा। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अनूठा उत्सव है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। ये दुनिया भर में मशहूर है, जहाँ हर बारह साल में लाखों श्रद्धालु विशेष ज्योतिषीय संरेखण के आधार पर नदी के तट पर 'पवित्र स्नान' के लिए इकट्ठा होते हैं।

महाकुंभ मेला हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों में से एक पर लगता है: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन या नासिक। यह 12 साल का अंतराल ज्योतिषीय और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है, जो इस आयोजन को गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व देता है। इनमें से हर स्थल को पवित्र माना जाता है और कुंभ मेले का वक्त शुभ खगोलीय स्थितियों के साथ संरेखित माना जाता है, जिससे ये कई भक्तों के लिए जीवन में एक बार होने वाला अनुभव बन जाता है।

महाकुंभ हर 12 वर्ष बाद क्यों

महाकुंभ हर बारह साल में एक बार मनाया जाता है, जबकि अर्ध कुंभ हर छह साल में होता है। प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जैसे पवित्र स्थानों पर आयोजित होने वाले ये बड़े आयोजन प्राचीन काल से ही अहम रहे हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महाकुंभ का खास महत्व है। ये तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति मेष राशि में होता है और सूर्य और चंद्रमा दोनों मकर राशि में होते हैं, जिससे एक खास खगोलीय संयोग बनता है। हर साल माघ महीने में सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में संरेखित होते हैं, मगर बृहस्पति हर बारह साल में एक बार ही मेष राशि में प्रवेश करता है, जिससे महाकुंभ एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण आयोजन बन जाता है।

ऐसे तय किया जाता कुंभ मेले का स्थान

कुंभ मेला वेबसाइट के मुताबिक, कुंभ मेले का स्थान खगोलीय पिंडों की खास स्थिति द्वारा तय होता है:

हरिद्वार कुंभ: जब बृहस्पति कुंभ राशि (जल वाहक का प्रतीक कुंभ राशि) में होता है और सूर्य और चंद्रमा क्रमशः मेष और धनु राशि में होते हैं, तो कुंभ हरिद्वार में आयोजित किया जाता है।

प्रयाग कुंभ: जब बृहस्पति वृषभ राशि में होता है और सूर्य और चंद्रमा मकर राशि (मकर संक्रांति के दौरान) में होते हैं, तो कुंभ प्रयाग में होता है।

नासिक कुंभ: जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है और सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में होते हैं, तो कुंभ नासिक और त्र्यंबकेश्वर में मनाया जाता है, यही कारण है कि इस आयोजन को सिंहस्थ कुंभ कहा जाता है।

उज्जैन: जब बृहस्पति सिंह राशि में, सूर्य और चंद्रमा मेष राशि में होते हैं, तो ये उज्जैन में कुंभ मेले के आयोजन के लिए एकदम सही स्थिति होती है।

ये ज्योतिषीय संरचनाएं भारत के चार पवित्र स्थलों पर कुंभ मेले के समय और स्थान का तय करती हैं।

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