क्या आप जानते हैं कि विश्व में 14 प्रतिशत लोग अपने जन्मदिन पर मरते हैं? यह है मृत्यु से जुड़े दिन की बात, अब जानिए 'मृत्यु के समय' का रहस्य। कोई भी संस्कृति, धर्म या देश हो, 'मौत का वक्त' लगभग सार्वभौमिक रूप से एक ही है - रात का तीसरा पहर सबसे ज्यादा जानलेवा होता है। धर्म, आस्था और अंधविश्वास को शैतान का युग कहा जाता है। कई लोगों की मृत्यु दिन के 3 बजे हुई थी, जिसे शुभ मुहूर्त माना जाता है, मगर इसके विपरीत सुबह 3 बजे का समय काफी अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस वक्त शैतान की ताकत अपने चरम पर होती है और इंसान काफी कमजोर होता है। इस समय अचानक आंखें खुल जाना, अधिक पसीना आना, दिल की धड़कन का तेज होना, अंगों का ठंडा पड़ना आदि महसूस होता है।
'मौत के समय' रहस्यों को लेकर विज्ञान का हैरान करने वाला दावा
मौत से जुड़े इन रहस्यों के बारे में विज्ञान का अपना मत है। तथ्यों के आधार पर विज्ञान और धर्म दोनों लगभग एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते प्रतीत होते हैं। अर्थ- रात्रि का तीसरा पहर अर्थात प्रात: 3 से 4 बजे तक का समय सबसे खतरनाक होता है। विज्ञान कहता है कि सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच अस्थमा का दौरा पड़ने की संभावना 300 गुना बढ़ जाती है। इस समय श्वसन तंत्र अधिक सिकुड़ता है। विरोधी भड़काऊ हार्मोन की रिहाई को कम करता है। रात के तीसरे पहर में रक्तचाप सबसे कम होता है।
अक्सर 3 से 4 के बीच नींद टूट जाती है, जो बुरे सपनों का भी समय होता है।
कई असाधारण शोधकर्ता सुबह 3 से 4 बजे के बीच के समय को 'डेविल्स ऑवर' या 'डेड टाइम' कहते हैं। उनका मानना है कि इस समय भूत-प्रेतों की गतिविधियां सबसे ज्यादा होती हैं। ज्यादातर लोगों को इस दौरान बुरे सपने भी आते हैं और अक्सर 'मृत्यु के समय' यानी सुबह 3 से 4 बजे के बीच उनकी नींद खराब हो जाती है।
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