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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर, जिसे हम कानिपकम गणपति मंदिर के नाम से जानते हैं, के प्रबंधन में एक बड़ा और दिलचस्प बदलाव देखने को मिला है. राज्य सरकार ने मंदिर के लिए जिस नए ट्रस्ट बोर्ड की घोषणा की है, उसका दायरा अब सिर्फ स्थानीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं है. इस बार बोर्ड में दूसरे जिलों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य तेलंगाना के सदस्य को भी शामिल किया गया है.

बुधवार को घोषित किए गए 16 सदस्यों वाले इस नए बोर्ड में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) का दबदबा साफ़ नज़र आता है, जिसे 13 सीटें मिली हैं. 

वहीं, जनसेना को 2 और बीजेपी को 1 सीट दी गई है. यह कदम सरकार की उस कोशिश को दिखाता है, जिसमें वह श्रीकालहस्ती देवस्थानम की तरह ही, बड़े मंदिरों के प्रबंधन में अलग-अलग इलाकों और समुदायों के लोगों को शामिल कर इसे और व्यापक बनाना चाहती है.

इस बोर्ड में सबसे ख़ास बात है तेलंगाना से श्रीपति सतीश को शामिल किया जाना. यह इस बात का साफ़ संकेत है कि सरकार अब बड़े मंदिरों को सिर्फ स्थानीय लोगों की संस्था न मानकर, इसे पूरे तेलुगु भाषी समुदाय का प्रतिनिधि बनाना चाहती है.

इससे पहले सितंबर में ही सरकार ने TDP नेता वी. सुरेंद्र बाबू, जो मणि नायडू के नाम से भी जाने जाते हैं, को ट्रस्ट बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था. मणि नायडू के लिए यह पद नया नहीं है; वह 2019 में भी लगभग सात महीने तक इस पद पर रह चुके हैं, लेकिन सरकार बदलने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. राज्य में नई सरकार आने के बाद, जून 2024 से यह ट्रस्ट बोर्ड खाली पड़ा था, जिसे अब भर दिया गया है.

यह कदम मंदिर प्रशासन में एक नई सोच को दर्शाता है, जहाँ अब फैसले लेने में सिर्फ स्थानीय लोगों की नहीं, बल्कि एक बड़े और विविध समूह की भागीदारी होगी.