
Up Kiran, Digital Desk: 14 अगस्त को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन के बीच जल्द ही व्यापार वार्ता (Trade Talks) शुरू हो सकती है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे समझौते को अंतिम रूप देना है जो महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी चुंबक (Critical Rare Earth Magnets), फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals) और उर्वरकों (Fertilisers) की आपूर्ति को कवर करेगा।
क्या है डील का एजेंडा:इन तीनों वस्तुओं - फार्मा, उर्वरक और दुर्लभ पृथ्वी चुंबक - को वार्ता के लिए एजेंडे में शीर्ष तीन प्राथमिकता वाले आइटम के रूप में रखा गया है। दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Elements) आधुनिक तकनीक और हरित ऊर्जा (Green Energy) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, और भारत अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) को मजबूत करने के लिए चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है, लेकिन साथ ही ऐसे महत्वपूर्ण इनपुट के लिए एक विश्वसनीय स्रोत भी चाहता है।
भू-राजनीतिक समीकरण और व्यापारिक संभावनाएँ:यह विकास ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से चले आ रहे तनाव में नरमी के संकेत दिख रहे हैं। इसके विपरीत, नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच व्यापार शुल्कों (Trade Tariffs) को लेकर संबंध कुछ हद तक तनावपूर्ण बने हुए हैं। ऐसे में, भारत के लिए चीन के साथ एक मजबूत व्यापारिक संबंध स्थापित करना रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ भारत को आवश्यक इनपुट की तत्काल आवश्यकता है।
स्थानीय कंपनियों को मिलेगा फायदा:अगर यह व्यापार सौदा (Trade Deal) सफल होता है, तो यह भारतीय स्थानीय कंपनियों (Local Companies) के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा। ये कंपनियां चीन से आवश्यक इनपुट (essential input imports) के आयात में तेजी लाने की उम्मीद कर रही हैं, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता (competitiveness) में वृद्धि होगी। यह कदम 'मेक इन इंडिया' (Make in India) और 'आत्मनिर्भर भारत' (Atmanirbhar Bharat) पहलों को भी बल दे सकता है, बशर्ते कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों के साथ संतुलित हो।
--Advertisement--