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जैसे-जैसे उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, सियासी हलकों में चर्चा गर्म है कि क्या बीजेपी और एनडीए इस बार भी अपने उम्मीदवार को बड़ी जीत दिला पाएंगे, जैसे 2022 में जगदीप धनखड़ ने दर्ज की थी।
बीजेपी नेतृत्व और अमित शाह की राजनीतिक रणनीति को देखते हुए माना जा रहा है कि एनडीए फिर से अपना उपराष्ट्रपति चुनवा लेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या पिछली बार जैसी विशाल जीत का अंतर इस बार भी मुमकिन है?
2022 में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर उपराष्ट्रपति पद पर बड़ी जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 528 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष को सिर्फ 182 वोट ही मिल सके थे। इस बार भी एनडीए के पास बहुमत की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, खासकर लोकसभा में बीजेपी के दबदबे के चलते।
हालांकि, राज्यसभा में संख्या समीकरण थोड़ा अलग है और यही वजह है कि एनडीए को वहां समर्थन जुटाने के लिए छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों की मदद लेनी पड़ सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इस बार भी अपने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को जिताने के लिए एक ठोस रणनीति पर काम कर रही है। अमित शाह, जो पिछले कई चुनावी रणनीतियों के मास्टरमाइंड रहे हैं, इस बार भी विपक्षी खेमे में सेंध लगाने की कोशिश में लगे हैं।
विपक्षी दल अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना सके हैं, जिससे एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या एनडीए एक बार फिर से उपराष्ट्रपति पद पर अपना दबदबा कायम रखते हुए, पिछली जीत को दोहरा पाएगा।
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