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Up Kiran , Digital Desk: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय अगर कुछ है, तो वो है – आकाश आनंद की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी। राजनीति की पाठशाला में जन्म से दाखिल आकाश आनंद के लिए ये सफर आसान नहीं रहा। मायावती जैसे कद्दावर नेता की छत्रछाया में पली-बढ़ी पार्टी में उनके लिए ‘उत्तराधिकारी’ बनना जितना सम्मानजनक है, उतना ही चुनौतियों भरा भी।
सवाल सिर्फ उनकी वापसी का नहीं है, सवाल ये है कि क्या अब वे मायावती की कसौटी पर खरे उतरेंगे? और क्या उनके नेतृत्व में बसपा अपने पुराने युग की वापसी कर सकेगी।
एक नजर: बसपा और मायावती की गिरती सियासी जमीन
जब बात बसपा की होती है, तो मायावती को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 90 के दशक में कांशीराम के साथ मिलकर दलित राजनीति की धुरी बदली, और 2007 में तो अकेले दम पर बहुमत की सरकार बना दी। लेकिन पिछले एक दशक से बसपा का ग्राफ लगातार गिरता गया है।
2014 लोकसभा चुनाव: बसपा को शून्य सीट
2017 विधानसभा चुनाव: 19 सीटें
2019 लोकसभा चुनाव: 10 सीटें
2022 विधानसभा चुनाव: सिर्फ 1 सीट
2024 लोकसभा चुनाव: फिर से शून्य
आज स्थिति ये है कि बसपा न तो विधानसभा में ताकतवर विपक्ष बन पाई, न ही लोकसभा में उसकी कोई मौजूदगी बची है।
आकाश आनंद: उम्मीद की किरण या सियासी प्रयोग
2019 में मायावती ने पहली बार अपने भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को सियासी मैदान में उतारा। उन्हें राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया। युवाओं की नई आवाज, सोशल मीडिया पर एक्टिव, तेज़तर्रार भाषणों वाले आकाश को लेकर ये उम्मीद जगी कि बसपा में नई जान आएगी।
उनके आने के बाद बसपा की ऑनलाइन मौजूदगी तेज़ हुई। एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब, फेसबुक पर पार्टी एक्टिव हुई। मायावती ने खुद को धीरे-धीरे पीछे करना शुरू किया। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब सीतापुर में उनके एक भाषण पर FIR दर्ज हो गई।
सीतापुर की घटना के बाद मायावती ने आकाश को पद से हटा दिया। वजह दी – "अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है।" राजनीतिक गलियारों में ये साफ संकेत था कि मायावती हर सियासी फैसले को बेहद सोच-समझकर ले रही हैं।
फिर आया फरवरी 2025 आकाश आनंद के ससुर और राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर कर दिया गया। अगले ही दिन गुटबाजी के आरोप में आकाश आनंद को भी निष्कासित कर दिया गया। ये संदेश था – "पार्टी में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह उत्तराधिकारी ही क्यों न हो, अनुशासन से ऊपर नहीं है।"
माफी, वापसी और नया अध्याय
डॉ. आंबेडकर जयंती के मौके पर आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर मायावती से माफी मांगी। उन्होंने गलतफहमियों की बात की और पार्टी हित में काम करने की प्रतिबद्धता जताई। मायावती ने उन्हें माफ करते हुए दोबारा पार्टी में शामिल किया और चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया। साथ ही संकेत दिया कि अब उन्हें देशभर में पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार किया जाएगा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आकाश आनंद में संभावनाएं हैं, लेकिन उन्हें खुद को साबित करना होगा। उनकी सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ बसपा को फिर से खड़ा करना नहीं है, बल्कि मायावती की राजनीतिक छवि और सिद्धांतों को आगे ले जाना भी है। UP जैसे बड़े राज्य में जहां दलित वोट बैंक को BJP और SP ने बखूबी साधा है, वहां दोबारा जनाधार हासिल करना आसान नहीं होगा।
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