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Up Kiran, Digital Desk: अरे! क्या आपने सोचा है कि हमारे बच्चे स्कूल में क्या खाते-पीते हैं? खासकर मीठे के नाम पर... आजकल बच्चों में ज़्यादा मीठा खाने का चलन बहुत बढ़ गया है, और यह उनकी सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इससे मोटापा, डायबिटीज और दूसरी बीमारियां कम उम्र में ही होने का खतरा बढ़ जाता है।

इसी खतरे को देखते हुए, हमारे सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने एक बहुत ज़रूरी कदम उठाया है। खबर है कि CBSE 'शुगर बोर्ड' जैसी कोई पहल या गाइडलाइन ला रहा है, जिसका सीधा मकसद बच्चों की सेहत सुधारना है। यह सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक 'पब्लिक हेल्थ मेजर' यानी पूरे समाज की सेहत सुधारने वाला कदम माना जा रहा है।

यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

इसका मतलब शायद यह हो सकता है कि स्कूलों की कैंटीन के लिए कुछ नियम बनाए जाएं, या बच्चों को सही खान-पान और चीनी के नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए।

कुल मिलाकर, CBSE की यह पहल वाकई में सराहनीय है। यह दिखाता है कि शिक्षा बोर्ड सिर्फ पढ़ाई पर ही नहीं, बल्कि हमारे बच्चों की शारीरिक सेहत पर भी ध्यान दे रहा है, जो कि एक स्वस्थ और सफल जीवन के लिए बहुत ज़रूरी है। यह हमारे बच्चों के लिए एक स्वस्थ भविष्य की नींव रखने जैसा है।

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