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Up Kiran, Digital Desk: 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद भारतीय डिफेंस सेक्टर को मानो नई सांसें मिल गईं। वर्षों से विदेशी हथियारों पर निर्भर रहने वाला देश अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत ने स्वदेशी हथियार निर्माण को केवल रणनीतिक लक्ष्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक बना दिया। यह बदलाव केवल नीतियों में नहीं बल्कि भारत के युद्ध कौशल और जमीनी ताकत में भी झलकने लगा।

22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का जब भारत ने जवाब दिया, तो वह केवल प्रतिकार नहीं था  वो एक घोषणा थी। एक गर्जना थी कि अब भारत न तो झुकेगा, न ही रुकेगा। स्वदेशी हथियारों की शान और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का प्रत्यक्ष प्रमाण उस दिन देखने को मिला जब भारतीय सेना ने आतंकियों और पाकिस्तान को उसी की ज़ुबान में, मगर अपनी तकनीक से करारा जवाब दिया।

इस पूरे घटनाक्रम पर पूर्व अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट जॉन स्पेंसर ने गहन रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' अभियान की सराहना करते हुए इसे 21वीं सदी में रक्षा रणनीति का नया मानक बताया।

डिफेंस सेक्टर में बड़े बदलाव: निवेश, नवाचार और निष्ठा

2014 के बाद भारत सरकार ने डिफेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा को 74% तक बढ़ा दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय तकनीक और पूंजी का प्रवाह तेज़ हुआ। देश के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर को घरेलू सैन्य प्रणाली  जैसे कि BrahMos मिसाइल, K9 Vajra हॉवित्जर और AK-203 राइफल  के निर्माण में प्रोत्साहन दिया गया।

ये नीतिगत बदलाव नहीं थे, यह उस मानसिकता का बदलाव था जो वर्षों तक ‘दूसरों पर निर्भरता’ की जंजीरों में जकड़ा हुआ था।

ऑपरेशन सिंदूर: युद्ध का वह सूर्योदय जिसने इतिहास रच दिया

जब ऑपरेशन 'सिंदूर' का सूरज उगा, तब केवल हथियार नहीं बोले  भारतीय आत्मबल, तकनीकी कौशल और रणनीतिक परिपक्वता ने दुश्मन को चौंका दिया।

पाकिस्तानी रडार की आंखें अंधी हो गईं, चीनी एयर डिफेंस की दीवारें भरभराकर गिर पड़ीं और भारत की स्वदेशी शक्ति ने युद्ध के मैदान को रणभेरी में बदल दिया।

यह नज़ारा किसी करिश्मे से कम नहीं था  यह आधुनिक भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता का परचम था जो लहराने लगा।

इन भारतीय हथियारों ने किया पाकिस्तान को पस्त

BrahMos Missile: रूस के साथ मिलकर विकसित की गई मगर अधिकांशतः भारत में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल अब केवल तकनीकी चमत्कार नहीं बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों के संकल्प की मिसाल बन चुकी है। इसकी 290-500 किमी रेंज, सुपरसोनिक गति और लो-रडार सिग्नेचर के कारण यह दुश्मन के लिए ‘अदृश्य बाण’ की तरह है। ऑपरेशन सिंदूर में इसका उपयोग दुश्मन के रडार स्टेशनों और बंकरों को ध्वस्त करने के लिए किया गया  और जैसे ही इसकी गूंज गिरी, पाकिस्तान की नींव हिल गई।

Akash SAM + Akashteer System: आकाश मिसाइल प्रणाली किसी देवदूत की तरह आकाश में तैनात रहती है  शत्रु विमानों के प्रहार से देश की रक्षा में तत्पर। इसकी 25-30 किमी की रेंज और ऑल-वेदर क्षमता इसे हर परिस्थिति में असरदार बनाती है। आकाशतीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के साथ मिलकर यह प्रणाली एक एआई संचालित ‘रक्षा कवच’ में बदल जाती है, जो रियल टाइम में दुश्मन की हर हरकत का जवाब देता है।

Rudram-1: दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर प्रहार करने वाली रुद्रम भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल है। यह मिसाइल रडार जैसी शत्रु प्रणालियों को खामोश कर देती है। जब पाकिस्तान ने अपने ‘अदृश्य रडार’ पर भरोसा किया, भारत ने रुद्रम से उसका विश्वास चकनाचूर कर दिया।

Netra Airborne Surveillance: DRDO द्वारा विकसित नेत्रा, आकाश में उड़ती वह आंख है जो युद्ध के हर मोर्चे को नज़र में रखती है। इसे एम्ब्रेयर प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है। जब दुश्मन के साब 2000 AEW&C विमान को भारत की लॉन्ग रेंज मिसाइल ने ध्वस्त किया, तब दुनिया ने जाना कि भारत अब सिर्फ देखता नहीं  निर्णायक हमला करता है।

फेल हुए पाकिस्तान के चीनी हथियार: भ्रम की दीवारें टूटीं

JF-17: पाकिस्तान की शान समझा जाने वाला यह लड़ाकू विमान ऑपरेशन सिंदूर में अपनी कमज़ोरियों के साथ नंगा हो गया। चीनी तकनीक पर पूरी तरह निर्भर इस विमान में न तो आधुनिक रडार था, न ही भार वहन की पर्याप्त क्षमता। भारतीय मिसाइलों और एयर डिफेंस के सामने यह उतना ही निरीह था जितना घने अंधेरे में एक फड़फड़ाता दीपक।

HQ-9 / HQ-16 SAM Systems: चीनी तकनीक का ‘कथित चमत्कार’ माने जाने वाले ये एयर डिफेंस सिस्टम भारत के जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक के आगे टूटते ताश के पत्तों की तरह ढह गए। जिन्हें पाकिस्तान ने ‘बंकर’ समझा था, वे असल में रेत के घरौंदे साबित हुए।

LY-80, FM-90: पाकिस्तान द्वारा तैनात किए गए ये शॉर्ट और मिड-रेंज सिस्टम भारतीय लो-फ्लाइंग ड्रोन की चालाकी का मुकाबला नहीं कर सके। भारतीय ड्रोन जैसे अदृश्य तीर बनकर इन सिस्टम के ऊपर से गुजर गए  और दुश्मन के अड्डों को बर्बाद कर गए।

CH-4 Drone: चीन से खरीदे गए ये ड्रोन भी पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर गए। भारत की उन्नत जामिंग प्रणाली ने इन ड्रोन को हवा में ही ‘बंधक’ बना लिया और फिर जो बचे थे, उन्हें भारतीय मिसाइलों ने ‘स्वाहा’ कर दिया।

 

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