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Up Kiran, Digital Desk: भारत की बदलती तस्वीर में एक और चमकता सितारा जुड़ गया है! आर्थिक मोर्चे पर महिलाएं अब और भी सशक्त होकर सामने आ रही हैं। हाल ही में एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की एक रिपोर्ट ने बेहद अच्छी खबर दी है: अब भारत में हर 5 जीएसटी टैक्सपेयर्स में से 1 महिला है! यह आंकड़ा सिर्फ़ संख्या नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उद्यमिता की एक शानदार कहानी बयां करता है।

आंकड़ों की ज़ुबानी, महिलाओं की तरक्की की कहानी:
जुलाई 2017 में जब वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हुआ था, तब भारत में महिला जीएसटी टैक्सपेयर्स का प्रतिशत लगभग 15% था। यानी, हर 100 जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसायों में से 15 महिलाएं चला रही थीं। आज, यह आंकड़ा बढ़कर 20% तक पहुँच गया है, जो मात्र कुछ सालों में 30% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है!

एसबीआई रिसर्च के अनुसार, भारत में कुल लगभग 1.4 करोड़ सक्रिय जीएसटी टैक्सपेयर्स हैं। इस नए आंकड़े का मतलब है कि इनमें से लगभग 28 लाख महिलाएं हैं, जो अपने दम पर व्यवसाय चला रही हैं और देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

यह सिर्फ़ जीएसटी का आंकड़ा नहीं, एक सामाजिक बदलाव है:
यह संख्या सिर्फ़ जीएसटी रजिस्ट्रेशन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मज़बूत संकेत है कि हमारी महिलाएं अब न सिर्फ़ घरों की बागडोर संभाल रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र और सशक्त बन रही हैं। वे नए व्यवसाय शुरू कर रही हैं, रोज़गार पैदा कर रही हैं और देश की जीडीपी (GDP) में अपना अहम योगदान दे रही हैं।

यह महिला उद्यमिता (women entrepreneurship) और आर्थिक समावेशन (economic inclusion) की दिशा में एक बड़ी छलांग है। यह दर्शाता है कि सरकारी नीतियों, जागरूकता और महिलाओं के अपने दृढ़ संकल्प से समाज में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है। महिलाएं अब सिर्फ़ पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हर सेक्टर में अपनी पहचान बना रही हैं, चाहे वह छोटा व्यवसाय हो या बड़ा उद्यम।

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