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धर्म / अध्यात्म डेस्क। हिंदू पंचांग के हर महींनों की अपनी महत्ता होती है। तीन दिन बाद आषाढ़ का महीना 22 जून दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। आषाढ़ महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत पड़ते हैं। आषाढ़ मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। आषाढ़ मास में भगवान विष्णु, भगवान शिव, देवी दुर्गा, और सूर्यदेव की पूजा का विधान है। इन देवताओं की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

आषाढ़ मास में घर - परिवार के कल्याण के लिए प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी पूजा के साथ मंत्र व जप करें। 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय', 'ॐ नमः शिवाय', 'ॐ रामदूताय नमः', और 'ॐ रां रामाय नमः' आदि मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। 
   
इसी तरह आषाढ़ मास में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी, भगवान शिव माता पार्वती, सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। इस मास में में दान, यज्ञ, व्रत, देव पूजा, पितृ पूजा करने से भाग्य चमकता है और परिवार में सुख व समृद्धि आती है। इस मास में जरूरतमंद लोगों की मदद करें और धन, कपड़ा, छाता, जल, अनाज आदि का दान करने से जीवन धन्य हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास में तीर्थयात्रा करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इस माह अमरनाथ, महाकाल, रामेश्वरम, अयोध्या, द्वारिका आदि तीर्थों की यात्रा करें। घी में भी पूरे माह पूजा पाठ करें। गायों की सेवा करें। आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी, चातुर्मास प्रारंभ, गुप्त नवरात्र प्रारंभ, गुरु पूर्णिमा आदि कई प्रमुख व्रत व त्योहार पड़ते हैं। इसलिए आषाढ़ मास में नित्य पुण्य का काम करें।

आषाढ़ मास से बरसात भी शुरू हो जाती है। इसलिए इस मास में कई कार्यों का निषेध भी किया गया है। इस मास में बैंगन, मसूर दाल, गोभी, लहसुन और प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए। आषाढ़ मास में पत्तेदार सब्जी, हरी सब्जियां और तेल वाली चीजों से बचना चाहिए।इसी तरह आषाढ़ में मांस-मछली, मदिरा समेत सभी मादक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा आषाढ़ में घर पर आए किसी याचक कोदान अवश्य करें। 

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