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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में प्रकृति के हर अवयवों की पूजा होती है। हर तीज त्यौहार प्रकृति के रंग में घुले हैं। ऐसा ही एक लोक पर्व है नागपंचमी। नागपंचमी का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व नाग देवता को समर्पित है। इस पर्व में भगवान भोलेनाथ के साथ नाग देवता की भी विधि विधान से पूजा की जाती है। नाग देवता को दूध पिलाया जाता है। महाभारत, नारद पुराण और स्कन्द पुराण आदि शास्त्रों में में नाग देवता की पूजा का विधान मिलता है।

शास्त्रों के अनुसार नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। नागपंचमी का दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए भी अति उत्‍तम माना गया है। इस वर्ष नाग पंचमी 9 अगस्त शुक्रवार को है। इस बार नागपंचमी पर सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग बनने जा रहा है। ये योग मेष, कर्क, सिंह और कुंभ राशियों के लिए लाभकारी हैं।  

स्कन्द पुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन विधि विधान से नाग देवता की पूजा करें। भूल से भी ऐसा कोई काम ना करें, जिससे नागों को कष्‍ट हो। नागों का देवी-देवताओं से संबंध है। सांपों कोकष्ट पहुंचाना जीवन पर बहुत भारी पड़ता है। नागों को दूध ना पिलाएं। वैज्ञानिकों के अनुसार सांप दूध नहीं पीते हैं। उन्हें दूध पिलाना जानलेवा साबित होता है। नागपंचमी के दिन मिट्टी की नाग प्रतिमा का दूध से अभिषेक करना चाहिए।

लोक परंपरा के अनुसार नागपंचमी के दिन लोहे की कड़ाही और तवे पर खाना नहीं बनाना चाहिए। इस दिन चावल खाने से भी परहेज़ करना चाहिए। नागपंचमी के दिन पूड़ी खाना शुभ माना जाता है। इसी तरह नाग पंचमी के दिन जमीन की खुदाई और खेती संबंधी कार्य न करें।  दरअसल, वर्षा ऋतू में जमीन खोदने से नागों को नुकसान हो सकता है। इसी तरह सांपों को सताने, मारने से काल सर्प दोष लगता है, जो कई पीढ़ियों तक चलता है। 
 

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