
Up Kiran, Digital Desk: आजकल जहां हर कोई 'वर्क-लाइफ बैलेंस', हफ्ते में 4 दिन काम और 'क्वाइट क्विटिंग' की बात कर रहा है, वहीं एक भारतीय स्टार्टअप के CEO ने एक ऐसी बात कह दी है जिससे इंटरनेट पर आग लग गई है। B2B SaaS स्टार्टअप Greptile के संस्थापक और CEO,
अक्ष गुप्ता, ने गर्व से बताया कि उनकी कंपनी में 14 घंटे काम करने का कल्चर है, और यहां 'वर्क फ्रॉम होम' का कोई विकल्प नहीं है।
अक्ष ने अपने पोस्ट में साफ लिखा, "मेरी कंपनी में 14 घंटे काम होता है। हम सिर्फ ऑफिस से काम करते हैं। यह सबके लिए नहीं है, और हम हायरिंग के समय ही यह बात बिल्कुल साफ कर देते हैं।"
उन्होंने इस कठोर वर्क कल्चर को सही ठहराते हुए कहा कि वे अपने कर्मचारियों को बाजार में सबसे अच्छी सैलरी देते हैं। उन्होंने इसकी तुलना देश की सेवा करने वाले सैनिकों, मेडल जीतने वाले एथलीटों और 24 घंटे काम करने वाले राजनेताओं से की। उनका मानना है कि अगर कुछ असाधारण बनाना है, तो उसके लिए असाधारण मेहनत भी लगती है।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी टीम में ऐसे जुनूनी और महत्वाकांक्षी लोग हैं जो कुछ बड़ा बनाना चाहते हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो लोग 'वर्क-लाइफ बैलेंस' की तलाश में हैं, उन्हें उनकी कंपनी में अप्लाई ही नहीं करना चाहिए।
इंटरनेट पर छिड़ गई बहस
लेकिन इस बयान के बाद इंटरनेट दो हिस्सों में बंट गया है।
समर्थन करने वाले: कुछ लोगों ने अक्ष की ईमानदारी और पारदर्शिता की तारीफ की। उनका कहना है कि कम से कम वह झूठ नहीं बोल रहे हैं और पहले ही बता रहे हैं कि उनकी कंपनी से क्या उम्मीद की जानी चाहिए। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा मौका है जो अपने करियर की शुरुआत में कड़ी मेहनत करके बहुत कुछ सीखना और कमाना चाहते हैं।
आलोचना करने वाले: वहीं, एक बड़े वर्ग ने इस वर्क कल्चर को 'टॉक्सिक' और कर्मचारियों का 'शोषण' बताया है। उनका कहना है कि ज्यादा घंटों का मतलब ज्यादा अच्छा काम नहीं होता, और इससे कर्मचारी बहुत जल्द ही 'बर्नआउट' (मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाना) का शिकार हो जाते हैं। आलोचकों का मानना है कि रचनात्मकता और इनोवेशन के लिए एक स्वस्थ दिमाग और आराम भी उतना ही जरूरी है।
एक कंपनी की पॉलिसी के बारे में नहीं है, बल्कि यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में चल रही एक बड़ी बहस को सामने लाती है: क्या सफलता के लिए 'हसल कल्चर' (हमेशा काम में लगे रहना) जरूरी है, या फिर कर्मचारियों की भलाई और 'वर्क-लाइफ बैलेंस' के साथ भी बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं?
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