Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर वापसी करते ही डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसने पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है। उन्होंने साफ़ शब्दों में धमकी दी है कि अमेरिका अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण (Nuclear Weapons Testing) फिर से शुरू कर सकता है। जब उनसे इस बारे में सीधे सवाल पूछा गया, तो उन्होंने रहस्यमयी अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा, "आपको इस बारे में बहुत जल्द पता चल जाएगा।"
ट्रंप का यह बयान सिर्फ़ एक राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं है, बल्कि यह रूस और चीन जैसे देशों के लिए एक सीधी और खुली चेतावनी है, जो हाल के समय में अपनी परमाणु ताक़त का काफ़ी प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रंप ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक वह राष्ट्रपति थे, तब तक दुनिया में शांति थी और किसी भी देश की हिम्मत नहीं थी कि वह 'परमाणु' शब्द का भी इस्तेमाल करे।
क्यों है यह इतना बड़ा और ख़तरनाक बयान?
इस बयान ने दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञों और शांति समर्थकों के बीच चिंता की एक बड़ी लहर पैदा कर दी है। इसके पीछे कुछ ठोस कारण हैं:
- 30 साल से ज़्यादा का टूटा मौन: अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं किया है। अगर ट्रंप इसे फिर से शुरू करते हैं, तो यह तीन दशकों से चली आ रही वैश्विक शांति की एक अलिखित संधि का उल्लंघन होगा।
- नई 'हथियारों की दौड़' का ख़तरा: अमेरिका का एक भी परमाणु परीक्षण, रूस और चीन को भी ऐसा करने के लिए उकसा सकता ਹੈ। इससे दुनिया में एक नई और बेहद ख़तरनाक 'हथियारों की दौड़' (Arms Race) शुरू हो सकती है।, जैसी हमने शीत युद्ध के समय में देखी थी।
- चीन की बढ़ती ताक़त: हाल ही में पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि चीन अपनी परमाणु ताक़त को बहुत तेज़ी से बढ़ा रहा है। ट्रंप का यह बयान इसी रिपोर्ट के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है।
- ट्रंप का 'अमेरिका फ़र्स्ट' एजेंडा: ट्रंप हमेशा से 'अमेरिका फ़र्स्ट' की नीति पर चलते आए हैं। उनका यह बयान भी इसी का हिस्साहै। जिसका सीधा मतलब है कि वह अमेरिका की सैन्य ताक़त को दुनिया में सबसे ऊपर रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
क्या वाक़ई में ऐसा करेंगे ट्रंप?
ट्रंप का अंदाज़ा लगाना हमेशा से मुश्किल रहा ਹੈ। वह जो कहते हैं, वैसा ही करेंगे या यह सिर्फ़ दूसरे देशों पर दबाव बनाने की एक रणनीति है।, यह तो वक़्त ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ़ है। - ट्रंप ने व्हाइट हाउस में लौटते ही दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि वह अमेरिका की शर्तों पर ही चलेंगे, और इसके लिए अगर उन्हें दुनिया को परमाणु युद्ध की दहलीज़ पर भी लाना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
इस बयान के बाद पूरी दुनिया की नज़रें अब वॉशिंगटन, मॉस्को और बीजिंग पर टिकी हैं, कि इस ख़तरनाक खेल में अगला क़दम कौन चलता है।
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