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चार एमए और PHD के बाद कोई भी खुद को सफेदपोश नौकरी में देखना चाहता है, मगर जब उस नौकरी से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाए तो वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ डॉ. संदीप सिंह के साथ, जो चार एमए और PHD करने के बाद भी सड़कों पर सब्जियां बेच रहे हैं।

उनके अनुसार, उन्हें इस बात पर शर्म नहीं आ रही है कि उनके गुरु ने उन्हें काम करने का संदेश दिया था, उन्हें सिर्फ इस बात का अफसोस है कि यूनिवर्सिटी ने उनकी कद्र नहीं की।

डॉ. संदीप ने कहा कि उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है मगर दुख की बात है कि यूनिवर्सिटी ने पढ़े-लिखे लोगों को उतना महत्व नहीं दिया जितना देना चाहिए था. उन्होंने कहा कि जब भी उनसे उनके लिए कुछ करने को कहा जाता है तो सामने से जवाब मिलता है कि वे दबाव में हैं.

वो पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में प्रोफेसर हैं। फिलहाल छुट्टी पर हैं और घर का खर्च चलाने के लिए रिक्शे पर 'PHD सब्जीवाला' का बोर्ड लगाकर अमृतसर की सड़कों पर सब्जियां बेच रहे हैं।

प्रो. ने कहा कि उनके लिए जीविकोपार्जन करना बहुत कठिन था, इसलिए उन्हें अपनी प्रोफेसरी छोड़कर सब्जी बेचने का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्हें यह कहने में भी शर्म नहीं आती कि वह यूनिवर्सिटी से ज्यादा कमा रहे हैं और यह कमाई पूरे साल चलेगी। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा, मां, भाई और बहन हैं।

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