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राम गोपाल यादव ने बुलाया आपातकालीन अधिवेशन, मुख्यमंत्री के चाणक्य बने राम गोपाल।

लखनऊ।। समाजवादी पार्टी में हाईवोल्टेज ड्रामा चरम पर है। मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव को सपा से बाहर कर दिया है। इसकी काट के लिए मुख्यमंत्री ने कल जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर अपने ही पिता और पार्टी के राष्ट्रीय मुखिया को चुनौती दे दी है। सूत्रों के मुताबिक इस अधिवेशन में 50 हजार लोग पहुंच सकते हैं।

समाजवादी पार्टी उस समय विभाजन के मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है, जब उसे अन्य दलों को मिलाकर चुनाव लड़ने की सबसे अधिक जरूरत है। जब भी देश में कभी भी सियासी दलों के परिवार में टकराव और विभाजन की बात होगी, तो उसमें आज का दौर और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी का जिक्र जरूर आएगा।

हालांकि इस विभाजन को रोकने के लिए राम गोपाल यादव ने एक जनवरी को राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया है, जिसे शिवपाल यादव ने अवैध करार दिया है। लखनऊ में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग और मुलायम सिंह यादव के सरकारी आवास पर दर्जनों बैठकें होने के बाद अब लोगों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या चाचा और भतीजे की जंग के बाद भी पार्टी बच पाएगी। हालांकि राम गोपाल यादव और शिवपाल यादव की जंग ने साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी और पारिवार के बीच सबकुछ विभाजन के कगार पर है।

पिछले दो दिनों से समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान जारी है। अलग लिस्ट जारी करने से नाराज सपा मुखिया मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इनपर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है। सपा मुखिया बयानबाजी को लेकर रामगोपाल पर नाराज बताए जा रहे हैं। गुरुवार को अखिलेश यादव ने 235 उम्मीदवारों की अपनी अलग लिस्ट जारी की थी, उसके बाद शिवपाल यादव ने 68 और नाम घोषित किए।

सपा बंटी तो मायावती को मिल सकता है बहुमत

समाजवादी पार्टी यदि दो धड़े में बंटती है तो बसपा को यूपी में बहुमत मिल सकता है। क्योंकि यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक ही सरकार तय करेगा। सपा में विभाजन के बाद भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए मुस्लिम वोट बैंक बसपा की ओर सिफ्ट हो सकता है।

फोटोः मुख्यमंत्री आवास पर मौजूद सपा नेता और कार्यकर्ता।

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