उत्तर प्रदेश ।। यूपी के अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही नियमित सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अपनी कानूनी टीम के क्लर्क को धमकी की जानकारी शीर्ष कोर्ट को दी। धवन ने कोर्ट से कहा कि ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है।
धवन ने कोर्ट को बताया कि यूपी में एक मंत्री ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर उनका है और सुप्रीम कोर्ट भी उनका है। मैं अवमानना के बाद अवमानना दायर नहीं कर सकता। उन्होंने पहले ही 88 साल के व्यक्ति के खिलाफ अवमानना दायर की है। इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट के बाहर इस तरह के व्यवहार की निंदा करते हैं। देश में ऐसा नहीं होना चाहिए।
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हम इस तरह के बयानों को रद्द करते हैं। दोनों पक्ष बिना किसी डर के अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके साथ ही सीजेआई रंजन गोगोई ने राजीव धवन से पूछा कि क्या वो सुरक्षा चाहते हैं? इसके बाद धवन ने इनकार कर किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये भरोसा दिलाना ही काफी है।
वहीं, बुधवार को 21 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा था। राजीव धवन ने कहा कि संविधान पीठ को दो मुख्य बिन्दुओं पर ही विचार करना है। पहला विवादित स्थल पर मालिकाना हक किसका है और दूसरा क्या गलत परम्परा को जारी रखा जा सकता है।
राजीव धवन ने सन 1962 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता, यही कानून के तहत होना चाहिए।
धवन ने कहा था कि अदालत में यह साबित किए जाने कि कोशिश की जाती रही है कि जमीन पहले हिन्दू पक्षकारों के अधिकार में थी। यह मानकर अदालत को विश्वास दिलाया जाता रहा है जो उचित नहीं है। उन्होंने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक कभी नहीं रहा है।’
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