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पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मामले में लताड़ा जा चूका है, लेकिन बावजूद इसके वो पानी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है. आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का राग अलाप रहा है. वहीं पाकिस्तान साल 2019 में इस चिंता में रहा कि कश्मीर मुद्दे पर दुनिया उसकी बात क्यों नहीं सुन रही है और ‘चुप’ क्यों है. जिसके बाद उसने नए कदम उठाने की सोची है.


आपको बता दे कि साल 2020 में पाकिस्तान ने अपनी इस चिंता के निवारण के लिए उसने नई कवायद करने का फैसला किया है और वह कश्मीर मुद्दे पर ‘दुनिया की चुप्पी’ को तोड़ने के लिए नए सिरे से राजनयिक पहल व मीडिया अभियान शुरू करने जा रहा है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को विदेश मामलों की सलाहकार समिति की बैठक और एक अन्य मंत्रिस्तरीय कमेटी की बैठक में ऐसी राजनयिक पहल और मीडिया अभियान के बारे में विचार किया गया. दोनों बैठकों की अध्यक्षता विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने की.

वहीं रिपोर्ट में कहा गया है, “इन बैठकों में कश्मीर में लगातार खराब हो रही मानवाधिकारों की स्थिति, नियंत्रण रेखा पर भारत द्वारा संघर्षविराम के लगातार उल्लंघन और भारत के नागरिकता कानून पर विचार विमर्श किया गया.”

विदेश मामलों की सलाहकार समिति की बैठक में कई पूर्व विदेश सचिवों और विदेश मामलों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इसमें कहा गया कि सरकार को ‘कश्मीर के हालात के बारे में विश्व समुदाय को आगाह करने के लिए’ नए सिरे से राजनयिक प्रयास करने की जरूरत है.

मंत्रिस्तरीय कमेटी की बैठक में कुरैशी के साथ कई संघीय मंत्री, प्रधानमंत्री के सुरक्षा मामलों के सलाहकार मोईद यूसुफ व कुछ अन्य मामलों के सलाहकार और विदेश सचिव सोहैल महमूद ने हिस्सा लिया. इसमें मुख्य रूप से इस बात पर विचार किया गया कि विदेश नीति के खास मुद्दों, जिसमें कश्मीर का मुद्दा प्रमुखता से शामिल है, पर पाकिस्तानी रुख को स्पष्ट करने के लिए मीडिया का सहारा किस रूप में लिया जा सकता है.

इस बैठक में कुरैशी ने कहा कि ‘सरकार कश्मीरियों की तकलीफों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध है. संयुक्त राष्ट्र समेत हर मंच से कश्मीरियों की आवाज उठाई जाएगी.’ उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कवरेज से ‘कश्मीरियों की तकलीफों’ की तरफ दुनिया का ध्यान जाएगा.

एक अन्य बयान में कुरैशी ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन से भारत स्पष्ट रूप से दो हिस्सों में बंट गया है. एक हिस्सा भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की तरफ है और एक हिस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व एजेंडे की तरफ. यह किसी एक धर्म या क्षेत्र तक नहीं है बल्कि पूरे भारत में फैल गया है.’

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