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बिहार में जाति जनगणना को लेकर आज पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है। मंगलवार को सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने रोक वाली सभी याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन ने फैसला सुनाते हुए विरोधियों की याचिका को खारिज कर दिया। बिहार में जातीय सर्वेक्षण चलता रहेगा।

नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी।वहीं, इस पर याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बताया कि एक लाइन में हाईकोर्ट का फैसला आया है। हम लोग फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। बता दें कि 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगा दी थी और सरकार से अब तक कलेक्ट किए गए डेटा को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को तीसरी बार बिहार की जाति आधारित जन-गणना के केस को पटना हाईकोर्ट के पास भेजा था। दो बार जनहित के नाम पर याचिका पहुंचने पर सुप्रीम न्यायालय ने इसे हाईकोर्ट का केस बताते हुए वापस किया था। इसके बाद पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और यहां 4 मई को अंतरिम फैसला राज्य सरकार के खिलाफ आया। कोर्ट ने जाति आधारित जनगणना प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 4 मई तक जुटाए सभी डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। पटना हाईकोर्ट से अपने खिलाफ अंतरिम आदेश को देखकर बिहार की नीतीश सरकार अगली तारीख का इंंतजार किए बगैर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। 

गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास कराया था। हालांकि, केंद्र सरकार इसके विरोध में है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र का कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है। 

बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था। इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था। पहले चरण में मकानों की सूचीकरण,मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था। जिसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।

इसी बीच कोर्ट का फैसला आने तक जातिगत गणना का दूसरा का काम तकरीबन 80 फीसदी पूरा हो चुका था। तभी पटना हाई कोर्ट के दखल के बाद 4 मई को जातिगत गणना पर रोक दी गई। अब आखिरकार पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातिगत गणना को लेकर हरी झंडी दे दी है।

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