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Up Kiran, Digital Desk:  हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से अडानी समूह (Adani Group) लगातार निवेशकों और बाजार के विश्लेषकों की कड़ी नजर में रहा है। समूह की वित्तीय स्थिरता और कर्ज चुकाने की क्षमता पर कई सवाल उठाए गए हैं। लेकिन अब, दुनिया के सबसे बड़े फाइनेंसियल संस्थानों में से एक, बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) सिक्योरिटीज, अडानी समूह के समर्थन में आगे आया है।

BofA ने अपनी ताजा रिपोर्ट में अडानी समूह के डॉलर बॉन्ड्स को लेकर निवेशकों की चिंताओं को कम करते हुए कहा है कि समूह का वित्तीय आधार बहुत मजबूत है और उन्हें कर्ज चुकाने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है।

घबराने की जरूरत नहीं, कैश फ्लो सॉलिड है

रिपोर्ट का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि BofA का मानना है कि अडानी समूह के पास 'ठोस संपत्ति का आधार' (Solid Asset Base) है। इसका क्या मतलब है?

इसका सीधा सा मतलब है कि समूह के पास बंदरगाह (Ports), एयरपोर्ट्स, बिजली संयंत्र (Power Plants) और ट्रांसमिशन लाइनों जैसी बहुत सी ऐसी फिजिकल संपत्तियां हैं, जिनसे लगातार और नियमित रूप से नकदी (Cash) आती रहती है। यह मजबूत नकदी प्रवाह ही समूह को अपने कर्ज की किस्तें और बॉन्ड का ब्याज समय पर चुकाने की ताकत देता है।

रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अडानी समूह की क्रेडिट प्रोफाइल, यानी कर्ज चुकाने की साख, इन संपत्तियों से आने वाले स्थिर कैश फ्लो पर टिकी हुई है।

हिंडनबर्ग के बाद कैसे संभला अडानी समूह?

पिछले साल आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयरों में हेराफेरी और कर्ज को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, BofA का मानना है कि अडानी समूह ने इस संकट से उबरने के लिए बहुत ही समझदारी और तेजी से काम किया है।

समूह ने न सिर्फ अपने कर्ज का एक बड़ा हिस्सा समय से पहले चुकाया, बल्कि निवेशकों का भरोसा दोबारा जीतने के लिए कई बड़े कदम भी उठाए।

अडानी के डॉलर बॉन्ड्स में निवेशकों की दिलचस्पी

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अडानी समूह के यूएस डॉलर में जारी किए गए बॉन्ड्स में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ रही है। इन बॉन्ड्स पर मिलने वाला आकर्षक यील्ड (रिटर्न) निवेशकों को अपनी ओर खींच रहा है।

कुल मिलाकर, बैंक ऑफ अमेरिका की यह पॉजिटिव रिपोर्ट अडानी समूह और उसके निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। यह इस बात का संकेत है कि दुनिया की बड़ी फाइनेंसियल संस्थाएं अब मानने लगी हैं कि अडानी समूह ने अपने सबसे बुरे दौर को पीछे छोड़ दिया है और उसकी वित्तीय नींव अब भी काफी मजबूत है।