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Up Kiran, Digital Desk:  देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नियम लागू होने के बाद से ही सियासी हलचल तेज है. इसी कड़ी में अब केरल सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने केरल हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है और अदालत से मांग की है कि नागरिकता संशोधन नियम 2024 (Citizenship Amendment Rules, 2024) के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए. यह मामला देशभर में काफी गरमा गया है और केरल सरकार की इस कानूनी लड़ाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.

क्या है केरल सरकार का तर्क?

केंद्र सरकार ने 11 मार्च को CAA के नियम अधिसूचित किए थे, जिसके बाद इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया. लेकिन केरल सरकार शुरू से ही इस कानून के खिलाफ रही है. हाईकोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करते हुए केरल सरकार ने साफ कहा है कि ये नियम 'मनमाने, अनुचित और भेदभावपूर्ण' हैं. सरकार का तर्क है कि ये नियम भारत के संविधान में समानता, धर्मनिरपेक्षता और जीवन के अधिकार जैसे मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं.

इसके साथ ही, केरल सरकार ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि नागरिकता संशोधन नियम अंतरराष्ट्रीय समझौतों और संधियों का भी उल्लंघन करते हैं, जिनका भारत एक हस्ताक्षरकर्ता रहा है. राज्य सरकार ने इन नियमों को पूरी तरह से गैर-कानूनी करार दिया है.

पहले सुप्रीम कोर्ट, अब हाईकोर्ट

आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब केरल सरकार ने CAA के खिलाफ आवाज़ उठाई हो. 2019 में जब CAA संसद में पास हुआ था, तभी केरल सरकार ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. वह याचिका अभी भी लंबित है. अब हाईकोर्ट में तात्कालिक रोक की मांग करके केरल सरकार ने इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है.

राज्य सरकार का मानना है कि इन नियमों के लागू होने से समाज में भेदभाव बढ़ेगा और यह भारतीय नागरिकों के एक बड़े हिस्से के अधिकारों का हनन करेगा. अब यह देखना होगा कि हाई कोर्ट केरल सरकार की याचिका पर क्या फैसला सुनाता है.