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नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। 5 प्रदेशों के विधानसभा और आगामी लोकसभा इलेक्शन से पहले जारी की गई इस रिपोर्ट ने चुनावी मुद्दा भी तय कर दिया है। इंडिया गठबंधन निरंतर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग कर रहा है। नीतीश सरकार की इस रिपोर्ट के बाद सामाजिक न्याय का मुद्दा तूल पकड़ सकता है।

कांग्रेस जितनी आबादी उतना हक के वादे के साथ कड़ी मेहनत से जाति जनगणना के ऐजंडे को उठा रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बिहार की जाति जनगणना से ये पता चला है कि ओबीसी, एससी और एसटी की जनसंख्या 84 फीसदी है। केंद्र के 90 सचिवों में सिर्फ तीन ओबीसी है। वह भारत का महज पांच % बजट संभालते हैं।

पांच प्रदेशों के चुनाव में कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बना रही है। मध्यप्रदेश में पार्टी ने वादा किया है कि प्रदेश में सरकार बनने के बाद जाति जनगणना कराई जाएगी। दूसरे चुनावी प्रदेशों में भी पार्टी ऐसे वादे कर रही है। कर्नाटक में सरकार के गठन के बाद सीएम सिद्धारमैया ने जाति जनगणना पर कांग्रेस की प्रतिबद्धता का संकेत देते हुए 2015 की पिछड़ा वर्ग आयोग के जातिवार सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। जाति जनगणना इंडिया गठबंधन का महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा है।

 

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