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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सीबीआई ने नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है। उन्हें बतौर गवाह 29 फरवरी को पेश होने को कहा गया है। मामला सपा सरकार के दौरान अवैध खनन से जुड़ा है। अवैध खनन से जुड़ा जब यह घोटाला हुआ था उस वक्त खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के ही पास था, और उस समय वह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव सीबीआई के समन पर गुरुवार को पेश नहीं होंगे। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव सीबीआई के नोटिस को लेकर अब समाजवादी पार्टी आक्रामक रुख अपना सकती है।

गौरतलब है कि अखिलेश यादव सीबीआई और ईडी को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर रहे हैं। सपा मुखिया आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव के वक्त बीजेपी सरकार सीबीआई और ईडी को विपक्ष के नेताओं के पीछे छोड़ देती है। ऐसे में अब सीबीआई की नोटिस पर सूबे की सियासत गरमा सकती है। अखिलेश यादव को समन को लेकर सपा आक्रामक सड़क पर उतर सकती है। सपा कार्यकर्ता आंदोलन के लिए तैयार हैं।

बताते चलें कि साल 2012-13 में सूबे में सपा की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। उस वक्त उनके पास खनन विभाग भी था। उस दौरान अवैध खनन को  लेकर सपा सरकार पर गंभीर आरोप लगे थे। साल 2016 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच शुरू हुई और उसमें पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का नाम सामने आया। इसके साथ ही सपा सरकार के दौरान कई जिलों की डीएम रहीं बी चंद्रकला पर भी आरोप लगे और उनके यहां भी छापेमारी हुई थी।

इस मामले में सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग एक्ट समेत कई अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमे   तत्कालीन जिलाधिकारी बी चन्द्रकला समेत उन सभी 11 लोगों को नामजद किया गया है, जिनके नाम सीबीआई के एफआईआर में थे। इस मामले में सीबीआई ने आईएएस अधिकारी बी चन्द्रकला के घर भी छापा मारा था। मामले में बी. चंद्रकला और सपा एमएलसी रहे रमेश चंद्र मिश्रा समेत 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।  
 

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